रजत प्रतिमाओं की वापसी की मांग को लेकर अनशन कर रहे काशी विश्वनाथ मंदिर के महंत डाक्टर कुलपति तिवारी के सेहत तेजी से गिर रही है। अनशन के चौथे दिन शुक्रवार को उनके ब्लडप्रेशर और पल्स दोनों में उतार चढ़ाव बना। उनके परिवारिक चिकित्सक डाक्टर एमके. शर्मा के अनुसार लगातार चार दिनों से अन्न-जल का त्याग करने के कारण शरीर में कमजोरी तेजी से बढ़ रही है। वहीं दूसरी तरफ उनके अनशन को देशभर से नैतिक समर्थन मिल रहा है। यूपी, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान के अलग-अलग शहरों में महंत डा. कुलपति तिवारी के समर्थन में सूर्योदय से सूर्यास्त तक क्रमिक उपवास का क्रम चौथे दिन भी जारी रहा। डा. कुलपति तिवारी की सेहत को लेकर चिंतित उनके परिजन और शुभचिंतक लगातार उन्हें मनाने का प्रयास कर रहे हैं। शुक्रवार को उनकी पुत्री, पुत्र वधु और छोटे-छोटे नाती-पातों ने भी उन्हें मनाने का प्रयास किया। मार्कण्डेय महादेव मंदिर महंत परिवार के प्रतिनिधि, काशी तीर्थ पुरोहित संघ के अध्यक्ष पं. कन्हैया त्रिपाठी, काशी विश्वनाथ डमरू दल के जंत्रलेश्वर यादव उनके आवास पर जाकर उनके साथ खड़े रहने का भरोसा दिलाया। आईपीएस डाक्टर जुगुल किशोर त्रिपाठी,उन्नाव से डाक्टर चंद्रमौलि शुक्ला, जयपुर के उद्यमी रामाश्रय दामोदर मोदी के अलावा वाराणसी और आसपास के जनपदों से महेश साहनी, आनंद मौर्य,कमलेश मौर्या, डाक्टर कुसुम चतुर्वेदी ,कल्लू मिश्रा ,नीलम खान ,डाक्टर आशा अग्रवाल,उदय शंकर त्रिपाठी,अनिरुद्ध शंकर त्रिपाठी ने फोन पर उनका हाल समाचार लिया और उनके अनशन का नैतिक समर्थन किया। खुफिया विभाग ने इस मामले पर लगातार अपनी नजर जमाए रखी है। दूसरी ओर शासन प्रशासन में कोई हलचल नहीं है। टेढ़ीनीम स्थित महंत आवास पर हो रही गतिविधियों का जाजया लेने के लिए एलआईयू के अधिकारी दिन में चार बार चक्कर लगा रहे हैं। दशाश्वमेध पुलिस भी मामले पर नजर बनाए हुए है। आईबी के एसपी दिवाकर सिंह उनका कुशल क्षेम जानने उनके आवास पर पहुंचे। साथ ही यह आश्वासन दिया गया उनकी बातों को अपनी रिपोर्ट के माध्यम से ऊपर तक पहुंचाएंगे। डाक्टर कुलपति तिवारी के बेटे वाचस्पति तिवारी ने कहा है कि मेरे पिता की अवस्था दिन पर दिन खराब होती जा रही है लेकिन जिला प्रशासन ने नैतिक जिम्मेदारी का पालन करते हुए ४८ घंटे बाद मेडिकल टीम भी जांच के लिए नहीं भेजी है। विश्वनाथ मंदिर के अधिकारी अपना पल्ला झाडऩे में लगे हुए हैं। उनसे बार बार लिखित आश्वासन मांगा जा रहा है लेकिन वे मौखिक आश्वासन की बात पर ही अड़े हुए हैं। उन्होंने इस पर भी सवाल उठाया कि धर्मार्थ मंत्री रानीभवानी गली में ध्वस्त भवन को देखने पहुंचे लेकिन अनशनरत महंत डाक्टर कुलपति तिवारी से मिलाना भी उन्होंने उचित क्यों नहीं समझा।