नई दिल्ली, । महाराष्ट्र के राजनीतिक संकट से जुड़ीं उद्धव ठाकरे और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के गुटों द्वारा दाखिल याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सुनवाई 29 नवंबर तक के लिए टाल दी। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने वकीलों से कहा कि वे चार हफ्ते में मामले का संकलन पूरा कर लें और विचार के लिए प्रमुख मुद्दे तैयार कर लें।
महाराष्ट्र राजनीतिक संकट
पीठ में जस्टिस एमआर शाह, जस्टिस कृष्ण मुरारी, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस पीएस नरसिम्हा भी शामिल हैं। पीठ ने कहा कि वकील जावेद उर रहमान और चिराग शाह एक-एक पक्ष से नोडल वकील के रूप में काम करेंगे और वे ही इस कवायद को चार हफ्ते में पूरा करेंगे। इससे पहले शीर्ष अदालत ने चुनाव आयोग को यह फैसला करने की अनुमति प्रदान कर दी थी कि उद्धव ठाकरे और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे गुट में से किसको वास्तविक शिवसेना के रूप में मान्यता दी जाए और धनुष-बाण का चुनाव चिह्न आवंटित किया जाए।
शीर्ष अदालत को महाराष्ट्र राजनीतिक संकट के संबंध में शिवसेना के प्रतिद्वंद्वी समूहों द्वारा दायर कई याचिकाएं मिली हैं। अगस्त में शीर्ष अदालत की तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने महाराष्ट्र राजनीतिक संकट के संबंध में शिवसेना के प्रतिद्वंद्वी समूहों द्वारा दायर याचिका में शामिल मुद्दों को पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ के पास भेजा था।
सुप्रीम कोर्ट की तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने कहा था कि महाराष्ट्र के राजनीतिक संकट से जुड़े कुछ मुद्दों पर विचार के लिए एक बड़ी संवैधानिक पीठ की आवश्यकता हो सकती है। इसने महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष राहुल नार्वेकर से शिवसेना के सदस्यों के खिलाफ जारी किए गए नए अयोग्यता नोटिस पर कोई कार्रवाई नहीं करने के लिए भी कहा था। शिवसेना के दोनों धड़ों द्वारा दायर की गई विभिन्न याचिकाएं शीर्ष अदालत के समक्ष लंबित हैं।
29 जून को शीर्ष अदालत ने 30 जून को महाराष्ट्र विधानसभा में फ्लोर टेस्ट को हरी झंडी दे दी थी। महाराष्ट्र के राज्यपाल द्वारा तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को सदन के पटल पर अपना बहुमत समर्थन साबित करने के निर्देश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था।
शीर्ष अदालत के आदेश के बाद, उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद से अपने इस्तीफे की घोषणा की और एकनाथ शिंदे ने बाद में मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली।