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महाराष्ट्र में गरमाया हनुमान चालीसा पाठ का मुद्दा: गृहमंत्री दिलीप पाटिल दोपहर 1 बजे करेंगे प्रेस कान्फ्रेंस


मुंबई, ।  मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के आवास मातोश्री के बाहर हनुमान चालीसा का पाठ करने का फैसला करने वाली अमरावती की सांसद नवनीत राणा के मुंबई स्थित आवास को शिवसेना के कार्यकर्ताओं ने शनिवार सुबह से ही घेर लिया। वे वहां प्रदर्शन कर रहे हैं। कार्यकर्ताओं ने सांसद और उनके पति को ‘बंटी और बबली’ का उपनाम दिया है। दरअसल पति रवि राणा सांसद के साथ सांसद ने  आज मातोश्री के बाहर हनुमान चालीसा  का पाठ करने का ऐलान किया,  जिसके बाद से ही महाराष्ट्र में बवाल शुरू हो गया है।

– महाराष्ट्र के गृहमंत्री दिलीप वालसे पाटिल दोपहर एक बजे मीडिया को संबोधित करेंगे।

– सांसद के ऐलान के मद्देनजर आज मुख्यमंत्री के निजी आवास मातोश्री की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। मुंबई की पूर्व मेयर और शिवसेना नेता किशोरी पेडनेकर ने आज कहा, ‘हम इंतजार कर रहे हैं, हम हनुमान चालीसा सामने रखेंगे। हम उन्हें सबक सिखाने का इंतजार कर रहे हैं।’

– महाराष्ट्र के गृहमंत्री दिलीप वालसे पाटिल ने कहा, ‘सांसद नवनीत राणा व उनके पति राज्य सरकार की छवि को धूमिल और राज्य के माहौल को खराब करना चाहते हैं। मातोश्री के बाहर हनुमान चालीसा पढ़ने की क्या जरूरत है, ऐसा वे अपने घर में भी कर सकते हैं।’

– विधायक रवि राणा ने कहा, ‘ये बाला साहेब के सदस्य नहीं हैं, यदि होते तो हमारे साथ हनुमान चालीसा का पाठ करने को तैयार होते। मुख्यमंत्री अपनी ताकत का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं। शिवसेना हमारे घर में घुसकर हमला करने की कोशिश कर रही है। यदि हम सुरक्षित नहीं तो आम जनता कैसे सुरक्षित रहेगी।’

 

सांसद नवनीत राणा ने कहा, ‘महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने शिवसेना कार्यकर्ताओं को हमें परेशान करने का निर्देश दिया है। वे बैरिकेड तोड़ रहे हैं। मैं अपनी बात दोहरा रही हूं कि बाहर जाऊंगी और मातोश्री के बाहर हनुमान चालीसा का पाठ करूंगी।’

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उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र की नवनिर्माण सेना (MNS) प्रमुख राज ठाकरे ने राज्य सरकार से मस्जिदों के लाउडस्पीकरों को हटाने की मांग की थी और चेताया था कि यदि उनकी इस मांग को पूरा नहीं किया जाएगा तब उनके पार्टी कार्यकर्ता हनुमान चालीसा के लिए लाउडस्पीकर लगा देंगे। MNS प्रमुख ने कहा, ‘3 मई तक मस्जिदों पर लगे लाउडस्पीकर बंद हो जाना चाहिए। अन्यथा हम लाउडस्पीकर पर हनुमान चालीसा का पाठ करेंगे। यह सामाजिक मुद्दा है न कि धार्मिक।’