कोरोना महामारी के बीच स्वास्थ्य व्यवस्था का सच
मुजफ्फरपुर। औराई प्रखंड के अमनौर में जहाँ भवन के अभाव में स्वास्थ्य उपकेंद्र गुमटी में चल रहा है वहीं महेसवारा पंचायत में सालों पहले बना प्राथमिक स्वास्थ्य उपकेंद्र अब तबेला बन गया है। इस स्वास्थ्य केंद्र पर मरीजों का इलाज नहीं बल्कि पशुओं की देखभाल होती है। ऐसे में यह पीएचसी लोगों के लिए सिर्फ हाथी दांत साबित हो रहा है। विडंबना है कि गांव में स्वास्थ्य उपकेंद्र होते हुए भी स्थानीय लोगों को इलाज कराने के लिए कई किलोमीटर दूर जाना पड़ता है। लाख शिकायत करने के बावजूद स्थानीय प्रशासन की नजरें इस तरफ नहीं जाती।
दरअसल, ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधा बेहतर करने के लिए केंद्र और राज्य सरकार सुविधा के नाम पर पानी की तरह पैसा बहा रही है। लेकिन विभागीय खामियां व्यवस्था पर हावी हैं। इसकी बानगी औराई प्रखंड के महेशवारा पंचायत में बना उप स्वास्थ्य केंद्र है। पंचायत में बीस वर्ष पूर्व बना यह अस्पताल अब गोशाला बन गया है तो कई स्वास्थ्य केंद्रों में वर्षों से ताला जड़ा हुआ है।
ऐसे में इलाके के लोग कोरोना जैसी महामारी से भला कैसे निपटेंगे। वहीं पूरे मामले पर अनुमंडलाधिकारी पूर्वी डॉ कुंदन कुमार ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा सूचिबद्ध नहीं होने के कारण प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र की यह स्थिति है।