पटना

मुजफ्फरपुर में फर्जी एडीएम गिरफ्तार


मुजफ्फरपुर। जिले के सदर थाना की पुलिस ने शांति विहार कॉलोनी से रविवार को फर्जी एडीएम को गिरफ्तार किया है। पूछताछ में उसकी पहचान पटना के गर्दनीबाग के आकाश कुमार के रूप में हुई है। वह अपनी पत्नी प्रभा के साथ रहता है। इसी घर से पुलिस ने उसे दबोचा। जब सदर थानेदार सत्येंद्र मिश्रा फोर्स लेकर उसे पकडऩे गए तो उसने पुलिस पर नकली पिस्टल तान दिया था। हालांकि पुलिस को उस समय लगा कि पिस्टल असली है। इससे पुलिस कुछ सेकेंड के लिए घबरा गई।

लेकिन, सब इंस्पेक्टर जैनेंद्र झा और मणिभूषण कुमार ने एक झटके में उसे जमीन पर पटक दिया और उसके हाथ से पिस्टल छीन लिया। तब पुलिस को पता लगा कि पिस्टल नकली है। उसके घर की तलाशी की गई। वहां से कटिहार और मुजफ्फरपुर एडीएम का प्लेट, मुजफ्फरपुर समाहरणालय का प्लेट, कई दस्तावेज, दो नकली पिस्टल, कई मेडल, लाल बत्ती, तीन वायरलेस, बिहार सरकार का आई कार्ड, चाकू समेत अन्य सामान बरामद हुआ। पुलिस जब उसे हिरासत में लेकर गाड़ी में बैठा रही थी तो उस दौरान भी उसने खूब जोर जबरदस्ती की। सिपाहियों की मदद से उसे जबरन गाड़ी में बैठाकर थाना लाया गया। आरोपी के साला प्रकाश कुमार ने इसकी शिकायत दर्ज कराई है। नगर पुलिस उपाधीक्षक रामनरेश पासवान ने बताया कि पूछताछ चल रही है। कल उसे जेल भेजा जाएगा।

आरोपी इतना शातिर था कि सदर थाना पर कई बार वह अलग-अलग काम या किसी मामले की पैरवी करने तक पहुंचा था। उसने सब इंस्पेक्टर जैनेंद्र झा को परेशान कर रखा था। उन्हें कई बार कॉल कर एडीएम  होने का धौंस देता था। उन्हें कॉल कर कहता था कि मेरी गाड़ी में किसी ने टक्कर मार दिया है। जल्दी गश्ती गाड़ी भेजो। अगर थोड़ी देर हो जाती तो उन्हें दोबारा कॉल कर धौंस देता था। कभी किसी को पकडऩे के लिए कॉल कर देता। सब इंस्पेक्टर नहीं समझ पाए कि वह फर्जी एडीएम है। आज जब प्रकाश ने शिकायत की तब उन्हें पता लगा।

प्रकाश ने बताया कि एक साल पूर्व वह एक केस में फंस गया था। इसमे उसकी बहन प्रभा का भी नाम था। वह और उसकी बहन सदर थाना आये थे। उसी दौरान आरोपी से उसकी बहन की मुलाकात हुई थी। वह विधवा है, यह जानकर आरोपी खूब सहानुभूति दिखाते बहन के करीब आ गया। उसने अपना परिचय कटिहार एडीएम के रूप में दिया था। केस में भी मदद करने का झांसा दिया। धीरे-धीरे दोनो करीब आये और पिछले साल जुलाई में शादी कर ली।

इस बीच आरोपी ने कहा कि उसका ट्रांसफर मुजफ्फरपुर एडीएम के पद पर हो गया है। फिर यही पर पत्नी के घर पर रहने लगा। इसके बाद अलग-अलग बहाने बनाकर रुपए ऐंठने लगा। कभी कहता कि सैलरी तीन महीने से नहीं आयी है तो कभी कहता विभागीय काम है। इस तरह कर पत्नी के एकाउंट से करीब आठ लाख रुपए ले लिए। फिर उसका दस लाख का जेवर भी बेचकर पूरा पैसा रख लिया। इतने के बावजूद पटना में उसकी बहन का एक जमीन का टुकड़ा था। उसे भी 40 लाख रुपए में बेच दिया और पूरा कैश रख लिया। जब भी उसकी बहन पैसा मांगती तो टालमटोल जवाब देकर बात को टाल देता था।

इधर, दो महीने पूर्व उसने कहा कि उसका प्रमोशन होने वाला है। पहले एसडीएम  बनेगा। उसके बाद डीएम बनेगा। इसी में कुछ रुपए खर्च होने की बात कही थी। इसी दौरान प्रकाश को उसपर शक हो गया था। जब भी वह उसे फोन करता और विभागीय या नौकरी से सम्बंधित कोई बात पूछता तो हमेशा टाल देता था। यह कहकर फोन काट देता था कि डीएम का तो कभी कमिश्नर का, कभी पटना एसएसपी तो मुजफ्फरपुर एसएसपी या नीतीश कुमार के पीए का कॉल आ रहा है। सैलरी स्लिप दिखाने को कहता तो वह भी नहीं दिखाता था।

प्रकाश ने बताया कि उसने अपनी बहन का एकाउंट चेक किया। तब उसे पता लगा कि पूरा पैसा निकल चुका है। फिर उसने अपनी बहन से पूछताछ की तो उसने पूरी बात बताई। तब उसका शक यकीन में बदल गया कि हो न हो यह फर्जी एडीएम  बनकर उनलोगों को ठग रहा है। इसके बाद वह रविवार को शिकायत करने थाना पहुंचा। सब इंस्पेक्टर आरोपी का नाम सुनते ही पहचान गए। उन्हें सबकुछ समझ में आ गया कि यही व्यक्ति उनपर भी इतने दिनों से धौंस जमा रहा है। आननफानन में पुलिस टीम ने रेड कर उसे दबोच लिया।

पुलिस जांच और पूछताछ में परत दर परत सब राज खुलकर सामने आने लगे। टाउन डीएसपी  भी उससे पूछताछ करने थाना पहुंचे। उसे देखते ही पहचान लिया कि यह वही व्यक्ति है जो एक दो बार उनके ऑफिस तक कटिहार एडीएम  बनकर आया था। उसके पास से जो भी कागजात बरामद हुए हैं। उसे खंगालने की कवायद की जा रही है।