जेई इंसेफलाइटिस का केस मिला, पहुंचे जिले के प्रभारी मंत्री, निरीक्षण कर दिया आवश्यक निर्देश
मुजफ्फरपुर। जिले में बाढ़, बारिश और गर्मी ने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। इसका सबसे अधिक प्रभाव बच्चों पर पड़ रहा है। जिले में वायरल बुखार और वायरल ब्रोंकोलिस्ट के मरीजों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हो रही है। पिछले एक सप्ताह में करीब 136 बच्चे इस लक्षण से पीड़ित होकर एसकेएमसीएच पहुंचे हैं। सोमवार रात से लेकर मंगलवार सुबह तक 30 और बच्चे भर्ती हुए हैं। जिससे मरीजों की संख्या 166 हो गयी है।
वहीं अब तक 49 बच्चे ठीक होकर घर चले गए हैं। वर्तमान में पीकू वार्ड में 117 मरीज का इलाज चल रहा है। पीकू वार्ड में सौ बेड है, जो फूल हो चुका है। एक बेड पर दो मरीजों को रखकर इलाज किया जा रहा है। इसमें करीब 60 बच्चें वायरल बुखार, वायरल बरोंकोलिस्ट से ग्रसित हैं। वहीं अन्य में डायरिया और सर्दी खांसी के लक्षण हैं। इसकी जानकारी शिशु रोग विभागाध्यक्ष डॉ. गोपाल शंकर साहनी ने दी।
डॉ. साहनी ने बताया कि वायरल बरोंकोलिस्ट बीमारी में श्वांस नली में सूजन हो जाता है। यह स्थिति जुकाम से शुरू होती है। सांस नली में सूजन होने से सांस फूलना, खांसी और सांस लेने में तकलीफ होती है। यह एक सप्ताह से एक महीने तक रह सकता है। अगर सही से और समय पर इलाज नहीं हुआ तो यह गंभीर रूप ले लेता है।
कोरोना की तीसरी लहर से इंकार
डॉ. साहनी में कोरोना की तीसरी लहर से इंकार किया। कहा कि ये वायरल बुखार है, जिसके अलग-अलग रूप है। यह हर साल होता है। इसमे कैजुअलिटी काफी कम होती है। अबतक एक भी बच्चे की मौत इस बार नहीं हुई है। इसके लक्षण बुखार, सांस फूलना और सांस लेने में दिक्कत होता है। लेकिन, ये कोरोना नहीं है। दो से तीन दिन में बच्चे ठीक होकर घर लौट रहे हैं।
ऑक्सीजन पर हैं सभी बच्चे
बच्चे को ऑक्सीजन के सवाल पर उन्होंने कहा कि इसका इलाज ही ऑक्सीजन है। जब बुखार अधिक हो और सांस लेने में तकलीफ होता है तो ऑक्सिजन लेवल थोड़ा नीचे आ जाता है। यह सामान्य प्रक्रिया है। इसलिये ऑक्सीजन लगाया जाता है। उन्होंने कहा कि 24 घंटे सभी डॉक्टर और नर्स इमेरजेंसी मोड पर अलर्ट हैं। एक बेड पर दो-दो नर्सों की ड्यूटी लगाई गई है। अचानक बीमार पड़ने वाले बच्चों की संख्या में इज़ाफ़ा हुआ है। इससे भागदौड़ वाला दृश्य है।
जलजमाव और गर्मी प्रमुख कारण
डॉक्टर का कहना है जलजमाव और गर्मी इसकी मुख्य वजह है। पिछले तीन-चार दिनों से जिले में भीषण गर्मी पड़ रही है। वहीं नीचे जलजमाव है। ग्रामीण इलाकों में पानी महीनों से जमकर गन्दा पड़ चुका है। इसमे बच्चे जाते हैं और बीमार पड़ रहे हैं। परिजन को फिलहाल कुछ दिनों तक सतर्कता बरतनी होगी। बच्चे को ऐसे पानी मे, धूप में जाने से रोकना होगा। मौसम जब अनुकूल हो जाये तो बच्चे को बाहर भेजें।
एक सप्ताह से फूल है वार्ड
बता दें कि चार दिन पूर्व भी 24 घंटे में 91 बच्चे वायरल बुखार के भर्ती हुए थे। उस समय भी बेड फूल हो गया था। इसमे से कुछ बच्चे ठीक होकर घर लौट गए। वहीं फिर पिछले 24 घण्टों में मरीजो की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। डॉक्टर कोरोना की तीसरी लहर से इनकार तो कर रहे हैं। लेकिन, अस्पताल में अफरातफरी का माहौल बना हुआ है। सभी अलर्ट मोड पर हैं। डॉ. साहनी ने कहा की तीसरी लहर की आशंका को देखते हुए कई बच्चों का कोरोना जांच कराया गया। लेकिन, सभी की रिपोर्ट नेगेटिव आयी है। इसलिये घबराने वाली बात नहीं है।
जेई इंसेफ्लाइटिस का पहला केस मिला
उन्होंने बताया कि दो साल बाद जेई इंसेफ्लाइटिस (जैपनीज इंसेफ्लाइटिस) का पहला केस मिला है, जो एस के एम सी एच में भर्ती हुआ है। पूर्वी चंपारण रामगढ़ के रहने वाले 11 वर्षीय प्रदीप कुमार को भर्ती किया गया है। उसकी हालत गम्भीर बनी हुई है। उसका वेन्टीलेटर पर इलाज़ चल रहा है। पहले उसका इलाज बेतिया मेडिकल अस्पताल में हुआ था। वहां स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो एस के एम सी एच में भर्ती कराया गया है। यह बीमारी एईएस के प्रकार का ही है। इसकी रिपोर्ट पटना भेज दी गयी है। इसमें पहले बुखार होता है, फिर खांसी और उल्टी होने लगता है। सही इलाज नहीं होने पर स्थिति गम्भीर हो जाती है।
सिविल सर्जन के नेतृत्व में पहुंची टीम
सिविल सर्जन डॉ. विनय शर्मा के नेतृत्व ने एक टीम एस के एम सी एच में निरीक्षण करने पहुंची। टीम में पटना के भी स्वास्थ्य विभाग के एक वरीय अधिकारी हैं। अधीक्षक डॉ. बीएस झा के साथ बैठक हुई। इसके बाद पीकू वार्ड निरीक्षण किया। सिविल सर्जन ने अधीक्षक से पूरी रिपोर्ट मांगी है। कहा है जिस इलाके के बच्चे अधिक प्रभावित होंगे। वहां पर विशेष निगरानी की जाएगी और जागरूकता अभियान भी चलाया जाएगा। इधर, जिले के प्रभारी मंत्री मुकेश सहनी भी देर शाम एस के एम सी एच पहुंचे और पीकू वार्ड में इलाज करा रहे बच्चों की सुधी ली। उन्होंने अस्पताल अधीक्षक से बातचीत कर बच्चो के बेहतर उपचार पर आवश्यक दिशा निर्देश दिया। मौके पर प्राचार्य डा विकास कुमार, अधीक्षक डा वीएस झा ,उपाधीक्षक डा गोपाल शंकर साहनी आदि चिकित्सक उपस्थित रहे।