Latest News नयी दिल्ली राष्ट्रीय

मुस्लिमों में बहुविवाह, निकाह-हलाला को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती


नई दिल्ली, । मुस्लिम समाज में एक से ज्यादा शादी और निकाह हलाला की प्रथा पर बैन लगाने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट संविधान पीठ के गठन पर राजी हो गया है। मामले में सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की पीठ का गठन किया जाएगा। हालांकि, सुनवाई की तारीख अभी तय नहीं हुई है।

अश्विनी उपाध्याय ने दाखिल की PIL

बता दें कि वकील अश्विनी उपाध्याय ने इसको लेकर जनहित याचिका दायर की है। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की पीठ ने उनकी याचिका पर ध्यान दिया। उन्होंने माना कि मामले में सुनवाई के लिए पांच जजों की पीठ गठित करने की आवश्यकता है। सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश ने कहा, “पांच जजों की बेंच के सामने अभी कई महत्वपूर्ण मामले लंबित हैं। हम एक बेंच का गठन करेंगे और सुनवाई करेंगे।”

30 अगस्त को हुई थी सुनवाई

पांच जजों की बेंच ने 30 अगस्त को इस मामले में सुनवाई की थी। जस्टिस इंदिरा बनर्जी, हेमंत गुप्ता, सूर्यकांत, एमएम सुंदरेश और सुधांशु धूलिया ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC), राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) और अल्पसंख्यकों के लिए राष्ट्रीय आयोग(एनसीएम) को पक्षकार बनाकर उनकी प्रतिक्रिया मांगी थी। हालांकि, जस्टिस इंदिरा बनर्जी 23 सितंबर और जस्टिस हेमंत गुप्ता इस साल 16 अक्टूबर को रिटायर हो गए। इसी कारण बहुविवाह और निकाह हलाला के खिलाफ दायर 8 याचिकाओं पर सुनवाई के लिए बेंच का पुनर्गठन करना पड़ रहा है।

बहुविवाह और निकाह हलाला को अवैध घोषित करने की मांग

अश्विनी उपाध्याय ने अपनी जनहित याचिका में बहुविवाह और निकाह हलाला को असंवैधानिक और अवैध घोषित करने का निर्देश देने की मांग की है।