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मोहन भागवत बोले- ‘जय श्रीराम’ बोलना बुरी बात नहीं…लेकिन उनके जैसा बनना ज्यादा जरूरी


  • राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि ‘जय श्रीराम’ बोलना बुरी बात नहीं लेकिन भगवान श्रीराम जैसा बनना और उनके आदर्शों को आत्मसात करना ज्यादा जरूरी है। भागवत ने रविवार को यहां संत ईश्वर फाउंडेशन की ओर से आयोजित संत ईश्वर पुरस्कार सम्मान समारोह में अपने संबोधन में कहा कि श्रीमद् भागवत में धर्म के जो तत्व बताए गए हैं, उनमें सत्य को धर्म बताया गया है। सत्य सभी का एक ही होता है, अलग-अलग नहीं। उस सत्य तक सभी धर्मों के लोग अपने-अपने तरीकों से पहुंचना चाहते हैं। उनको ऐसा करने देना चाहिए। उनके साथ जबरदस्ती करके झगड़ना नहीं चाहिए पर आदर्शों के मार्ग पर मिलकर चलने से ही परिणाम मिल पाते हैं।

    संघ प्रमुख ने कहा कि सेवाभाव के कारण ही मनुष्य, मनुष्य माना जाता है। सेवा का भाव मनुष्य के अंतर्मन में निहित होता है। संवेदनशील व्यक्ति ही सेवा कर सकता है। मनुष्य ने अगर संवेदनशीलता को चुना तो देवता बन जाता है। पुरस्कार जनजातीय कल्याण, ग्रामीण विकास, महिला व बाल-कल्याण तथा कला, साहित्य, पर्यावरण तथा स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में दिए जाते हैं। संस्थाओं को पांच लाख और निजी व्यक्तियों को एक लाख रुपए की धनराशि, शॉल, सर्टीफिकेट और ट्रॉफी दी जाती है।