पटना

म्युनिसिपल बिल्डिंग ट्रिब्यूनल के गठन को लेकर पटना हाई कोर्ट की तीखी टिप्पणी


पटना (विधि सं)। तकरीबन चार वर्षों से खाली पड़े पटना के म्युनिसिपल बिल्डिंग ट्रिब्यूनल के कोर्ट के आदेश के बावजूद गठन नहीं होने के मामले में पटना हाइ कोर्ट ने आदेश सुरक्षित रखा। न्यायमूर्ति चक्रधारी शरण सिंह की एकलपीठ ने सुरेश प्रसाद भरतिया की रिट याचिका पर सुनवाई की।  उल्लेखनीय है कि हाई कोर्ट ने विगत 22 मार्च को रिट याचिका को निष्पादित कर राज्य के मुख्य सचिव को निर्देश दिया था कि बिहार नगरपालिका कानून के तहत अवैध निर्माण व कार्यवाहियों पर सुनवाई करने वाली बिल्डिंग ट्रब्यूनल का गठन सुनिश्चित करे।

विदित हो कि रिट याचिका को निष्पादित करने के बावजूद हाई कोर्ट ने मामले को एक महीने बाद सूचीबद्ध करने का आदेश इसलिए दिया था, जिससे कि मालूम हो सके कि बिल्डिंग ट्राइब्यूनल काम करना शुरू किया भी या नहीं? उक्त आदेश के तीन महीने बाद शुक्रवार को जब हाई कोर्ट ने पूछा कि ट्रब्यूनल का गठन हुआ या नहीं तो सरकार की ओर से बताया गया कि मामला फाइलों में है और अंतिम चरण में है। इस बाबत सरकार का निर्णय जल्द ही होगा।

यह सुनते ही हाई कोर्ट ने अपनी नाराजगी जताते हुए मौखिक तौर पर टिपण्णी करते हुए कहा कि बस बहुत हो गया। कोर्ट किसी के रहम पर नही है, जो कि ट्राइब्यूनल के लिए सब्र करते रहे। अब सोमवार को फैसला सुनने को तैयार रहें। यह कहते हुए हाई कोर्ट ने अवमानना के बिंदु पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया। दरअसल, बिहार नगरपालिका कानून की दफा 329 में बिल्डिंग ट्रिब्यूनल के गठन का प्रावधान है, जहां अवैध निर्माण या उसे तोडऩे संबंधित मामलों पर नगर पालिका कानून के तहत सुनवाई  होती है।

रिट याचिकाकर्ता की ऐसी ही एक अपील बिल्डिंग ट्रिब्यूनल में पिछले छ: वर्षों से लंबित पड़ी थी। कभी सदस्य नहीं होने तो कभी अध्यक्ष नहीं होने की वजह से सिर्फ तारीख पर तारीख ही मिलती रही। विगत 22 मार्च को हाई कोर्ट ने मुख्य सचिव को एक महीने में ट्रिब्यूनल के गठन को सुनिश्चित करने का आदेश दिया था।