पटना

यास ने नालंदा के ईंट भट्ठा संचालकों का कमर तोड़ा


      • जिले के 291 चिमनी भट्ठों में लगभग 600 लोग लगा रखे हैं पूंजी और इसपर कार्यरत है लगभग 25-30 हजार मजदूर
      • यास के कारण करोड़ों का कच्चा ईंट पानी में बहा और अब कई चिमनी भट्ठा समय से पूर्व हो गया है बंद
      • यास का असर से प्रायः चिमनी भट्ठों में तीन से चार लाख ईंट पकाई का हुआ है नुकसान

बिहारशरीफ (आससे)। नालंदा जिले के उद्योग के नाम पर कोई बड़ी इकाई नहीं है। लघु उद्योग के नाम पर भी कोई ऐसी कोई महत्वपूर्ण इकाईयां नहीं है जिससे हजारों लोगों को या तो रोजगार मिले या फिर जिले के विकास में ऐसी उद्योगों का योगदान रहा हो। कुल मिलाकर जिले में लघु उद्योग के नाम पर ईंट भट्ठा उद्योग ही है, लेकिन इस उद्योग पर भी यास तूफान का काला साया पड़ता दिख रहा है। पूरे जिले में ईंट-भट्ठा उद्योग से जुड़े लोगों का करोड़ों का नुकसान तूफान में हुआ है।

नालंदा जिले में लगभग 291 ईंट चिमनी भट्ठा उद्योग है, जो निबंधित है और सरकार को टैक्स के साथ-साथ प्रदूषण जैसे मानकों पर खरा है। इस उद्योग से सीधे तौर पर लगभग 600 लोग रोजगार कर रहे है। कई ईंट-चिमनी भट्ठा व्यक्ति विशेष का है तो कई में 2 से 6 तक पार्टनर भी है और इनका मुख्य पेशा ईंट भट्ठा ही है। 6 महीना तक चलने वाले इस लघु उद्योग के जरिये ही कितने परिवारों का भरण पोषण इससे होता है। इसके अलावे ईंटा पथाई, ढुलाई, पकाई, ट्रैक्टर चलाने, जेसीबी चलाने जैसे कार्यों से एक चिमनी भट्ठा पर लगभग 100 लोग रोजगाररत है। यानी कि जिले में लगभग 25 से 30 हजार लोग ईंट चिमनी भट्ठा के भरोसे अपना जीवन यापन कर रहे है।

इस वर्ष ईंट चिमनी भट्ठा उद्योग को मौसम की बेरूखी का शिकार होना पड़ रहा है। ईंट की पथाई अक्टूबर-नवंबर से शुरू हो जाती है, लेकिन ईंट निर्माण का पीक आवर अप्रैल से जून महीना होता है। लेकिन इस वर्ष अप्रैल और मई में कई दिन बारिश हुई, जिससे पथाई किया गया कच्चा ईंट धुल गया। कई दिनों तक कार्य बाधित रहा और अब यास तूफान ने चिमनी भट्ठा के रफ्तार को ब्रेक लगा दी है। ना केवल पथाई किया गया ईंट गल गया बल्कि स्टैक्स में रखा गया ईंट भी पानी से बर्बाद हुआ है। इसके अलावे पथाई करने वाले खलिहानों में पानी का जमाव से स्थिति यह है कि अगले कई दिनों तक मौसम साफ भी रहा तो पथाई नहीं हो सकेगी और शायद इस बीच जून का पहला सप्ताह तो गुजर ही जायेगा। उसके बाद कभी भी मॉनसून ब्रेक किया तो चिमनी भट्ठा बंद हो जायेगा।

कई ईंट चिमनी भट्ठा मालिकों ने बताया कि एक-एक चिमनी पर कई-कई लाख रुपये के कच्चे ईंट का नुकसान हुआ है। कई चिमनी भट्ठा कच्चे ईंट के अभाव में बंद हो चुका है और स्थिति यही रहती तो कई चिमनी भट्ठे अब शायद अगले साल ही चालू हो पायेंगे, जबकि मौसम साथ दिया होता और तूफान का असर नहीं होता तो प्रायः चिमनी भट्ठों में चार से पांच लाख अधिक ईंट की पकाई होती।