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यूएई की पहली महिला एस्‍ट्रॉनॉट अरब वर्ल्‍ड की महिलाओं के लिए उम्‍मीद की किरण है


वर्ल्‍ड इकोनॉमिक फोरम हर साल एक जेंडर गैप इंडेक्‍स रिेपोर्ट जारी करता है, जो दुनिया के अलग-अलग देशों में आर्थिक और सामाजिक मोर्चों पर महिलाओं की स्थिति का हलफिया बयान है. इस साल 30 मार्च को ये रिपोर्ट जारी हुई, जिसमें यूएई यानी यूनाइटेड अरब अमीरात 72वें नंबर पर था. बाकी अरब देशों का नाम सूची के सबसे आखिर में दर्ज था. हालांकि भारत पाकिस्‍तान, अफगानिस्‍तान, ईरान, इराक से बस एक ही कदम आगे था. लेकिन ये रिपोर्ट साफ इशारा कर रही थी कि अरब देशों में देश और अर्थव्‍यवस्‍था में महिलाओं की भागीदारी की हालत बहुत अच्‍छी नहीं है.

लेकिन इस रिपोर्ट के 13 दिन बाद यूएई से एक साथ चौंकाने और खुश करने वाली खबर आई है. यूएई में पहली बार एक महिल अंतरिक्ष यात्री बनने जा रही है. यूं तो यूएई का नाम भी इस्‍लामिक देशों की फेहरिस्‍त में ही शुमार है, लेकिन WEF की जेंडर गैप इंडेक्‍स रिपोर्ट में वह दुनिया के तमाम गैरइस्‍लामिक देशों से काफी आगे है. उस देश ने ज्ञान- विज्ञान से लेकर अर्थव्‍यवस्‍था तक में महिलाओं की भागीदारी के दरवाजे खोले हैं. जेंडर गैप को कम करने वाले कानून बनाए हैं और औरतों को आगे बढ़ने का मौका दिया है.

इस दिशा में उठाए गए इन्‍हीं जरूरी कदमों का नतीजा है कि उस देश ने पहली बार नासा के अंतरिक्ष कार्यक्रम में जाकर ट्रेनिंग लेने और एस्‍ट्रॉनॉट बनने के लिए एक महिला का चयन किया है.

दुबई के शासक शेख मोहम्मद बिन राशिद अल मकतूम ने अपने टि्वटर हैंडल पर इसकी आधिकारिक घोषणा की. उन्‍होंने लिखा कि कि उनके देश ने पहली बार किसी महिला को अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए चुना है. शेख अल मकतूम ने एक साथ दो एस्‍ट्रोनॉट्स के नामों की घोषणा की. एक हैं मोहम्मद अल मुल्ला और दूसरी हैं नूरा अल मातुशी.