- पंचायत चुनाव की मतगणना के दौरान काउंटिंग सेंटर पर कोविड प्रोटोकॉल का पालन ना होने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तल्ख टिप्पणी की है. कोर्ट ने आठ जिलों के काउंटिंग सेंटर्स की सीसीटीवी फुटेज कोर्ट पेन ड्राइव में पेश करने को कहा है.
प्रयागराज. यूपी में पंचायत चुनाव की मतगणना के दौरान काउंटिंग सेंटर पर कोविड प्रोटोकॉल का पालन नहीं होने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नाराजगी जाहिर की है. हाईकोर्ट ने काउंटिंग सेंटर की सीसीटीवी फुटेज तलब की है. कोर्ट ने निर्वाचन आयोग से आठ जिलों लखनऊ, प्रयागराज, वाराणसी, गोरखपुर, गाजियाबाद, मेरठ, गौतमबुद्ध नगर और आगरा जिलों के काउंटिंग सेंटर्स की सीसीटीवी फुटेज कोर्ट पेन ड्राइव में पेश करने को कहा है. निर्वाचन आयोग को 7 मई को सुबह 11 बजे कोर्ट में सीसीटीवी फुटेज पेश करनी होगी. इसी दिन फिर मामले की सुनवाई होगी.
“नहीं हुआ कोविड प्रोटोकॉल का पालन”
गौरतलब है कि कोरोना से जुड़े मामलों की मॉनिटरिंग कर रही हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने मामले की सुनवाई की. जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस अजीत कुमार की डिवीजन बेंच में इसकी सुनवाई हुई. इस दौरान अदालत ने तल्ख टिप्पणी भी की. कोर्ट ने कहा कि मतदान की ही तरह पंचायत चुनाव की काउंटिंग में भी कोविड प्रोटोकॉल का कतई पालन नहीं किया गया. कोर्ट ने कहा कि काउंटिंग सेंटर्स पर लोगों की भारी भीड़ जमा थी और गाइडलाइन का पालन नहीं कराया गया. काउंटिंग के दौरान कोविड प्रोटोकॉल का पालन कराने में चुनाव अधिकारी और पुलिस प्रशासन दोनों ही पूरी तरह से नाकाम साबित हुए.
अधिकारियों पर कार्रवाई के निर्देश
हाईकोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयोग को सख्त कार्रवाई के निर्देश भी दिए. कोर्ट ने कहा कि सीसीटीवी फुटेज से खुद तथ्यों का पता लगाएं और जिन सेंटर्स पर भीड़ जमा हुई या कोविड प्रोटोकॉल का पालन नहीं हुआ, वहां के जिम्मेदार अफसरों के खिलाफ खुद कार्रवाई करें. किसी भी तरह की चूक के लिए काउंटिंग सेंटर्स के प्रभारी को जिम्मेदार माना जाए. इस मामले में राज्य चुनाव आयोग की कोई ढिलाई कतई बर्दाश्त नहीं की जाएगी.
कोर्ट ने कहा कि सरकार और निर्वाचन आयोग ने कोर्ट में हलफनामा देकर कोविड प्रोटोकॉल का पूरी तरह पालन कराने का भरोसा दिलाया था. कोर्ट ने अगली सुनवाई पर निर्वाचन आयोग को सीसीटीवी फुटेज और कार्रवाई रिपोर्ट के साथ ही नया एफिडेविट भी पेश करने को कहा है. कोर्ट ने पिछले आदेश का अनुपालन न होने पर भी नाराजगी जताई. कोर्ट ने कहा कि मतदान में ड्यूटी करने वाले 135 शिक्षकों की मौत होने के दावों की सूचना मांगने के अलावा आयोग ने कुछ भी नहीं किया. मतदान के दौरान होने वाली गलतियों को काउंटिंग के दौरान रोकने की कोई कोशिश नहीं की गई.