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यूपी सरकारी स्कूलों में नामांकन और शिक्षक भर्ती में सबसे आगे – शिक्षा मंत्रालय रिपोर्ट


 MoE UDISE+ 2021-22: देश के विभिन्न राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों की तुलना में उत्तर प्रदेश के सरकारी स्कूलों में वर्ष 2021-22 में सबसे अधिक नामांकन हुए, जिसमें छात्रों और छात्राओं दोनों के नामांकन के आकड़े शामिल हैं। साथ ही, शासकीय विद्यालयों में शिक्षकों की कमी को पूरा करने के प्रयासों को देखें तो इस मामले में भी यूपी देश के अन्य सभी राज्यों व यूटी में सबसे आगे है। वर्ष 2021-22 के दौरान राज्य से सरकारी स्कूलों के लिए शिक्षकों की भर्ती अन्य राज्यों के मुकाबले सबसे अधिक की गई। ये आकड़े केंद्र सरकार के शिक्षा मंत्रालय द्वारा जारी की गई भारत की स्कूली शिक्षा पर एकीकृत जिला शिक्षा सूचना प्रणाली प्लस (UDISE+) रिपोर्ट में सामने आए। मंत्रालय द्वारा UDISE+ रिपोर्ट आज, 3 नवंबर 2022 को जारी की गई।

 

MoE UDISE+ 2020-21: पिछले वर्ष के मुकाबले बढ़ा स्कूलों में नामांकन

वहीं, पूरे देश में समग्र स्तर की बात करें तो वर्ष 2021-22 के दौरान प्राथमिक से लेकर उच्चतर माध्यमिक तक के विद्यालयों में कुल 25.57 करोड़ नामांकन हुए, जो कि पिछले वर्ष 2020-21 के 25.38 करोड़ के मुकाबले अधिक है। इस प्रकार, बीत वर्ष में पिछले साल मुकाबले 19.36 लाख अधिक नामांकन हुए। यह बढ़ोत्तरी एससी, एसटी और ओबीसी वर्गों में भी हुई। शिक्षा मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक सकल नामांकन अनुपात (GER), जो कि दाखिले के सामान्य स्तर को बताता है, इसमें 2021-22 के दौरान पिछले वर्ष की तुलना में सुधार देखा गया। यह बढ़ोत्तरी प्राथमिक, उच्च प्राथमिक और उच्चतर माध्यमिक तीनों ही स्तरों पर दर्ज की गई।

MoE UDISE+ 2020-21: छात्राओं के नामांकन में बढ़ोत्तरी

दूसरी तरफ, यदि लिंग समानता सूचकांक (GPI) की बात करें तो प्राथमिक से लेकर उच्चतर माध्यमित स्तर तक वर्ष 2021-22 के दौरान पिछले साल के मुकाबले 12.29 करोड़ से अधिक छात्राओं के नामांकन हुए, यानि कि नामांकन में 8.19 लाख की वृद्धि दर्ज की गई। बता दें कि जीपीआइ से पता चलता है कि समान आयुवर्ग की छात्राओं की आबादी के संदर्भ में विद्यालयी शिक्षा में छात्राओं का का प्रतिनिधित्व उचित स्तर पर है।

MoE UDISE+ 2020-21: विद्यालयों की संख्या में हुई कमी

हालांकि, शिक्षा मंत्रालय की ताजा UDISE+ रिपोर्ट में यह बात सामने आई कि वर्ष 2021-22 में विद्यालयों की संख्या में कमी हुई है। संदर्भ वर्ष के दौरान 14.89 विद्यालय थे, जबकि इसके पहले यानि 2020-21 में 15.09 लाख विद्यालय थे। इस कमी के कारण निजी व अन्य प्रबंधन वाले स्कूलों का बंद होना एवं कई राज्यों में स्कूलों का समूह/क्लस्टर बनाना रिपोर्ट में बताये गये हैं।