नई दिल्ली, । राष्ट्रीय जनता दल (राजद) सुप्रीमो लालू यादव (Lalu Yadav) ने सोमवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) की उस याचिका का विरोध किया, जिसमें चारा घोटाले (Lalu Prasad Yadav Fooder Scam) से संबंधित डोरंडा कोषागार मामले में उन्हें दी गई जमानत रद्द करने की मांग की गई है। पिछले साल 22 अप्रैल को झारखंड हाई कोर्ट ने इस मामले में लालू यादव को जमानत दे दी थी।
75 वर्षीय राजद नेता को डोरंडा कोषागार से 139 करोड़ रुपये से अधिक के गबन के मामले में रांची की एक विशेष सीबीआई अदालत ने पांच साल जेल की सजा सुनाई और 60 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था।
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपने जवाब में लालू यादव ने कहा कि उनकी सजा को निलंबित करने के झारखंड हाई कोर्ट के आदेश को सिर्फ इस आधार पर चुनौती नहीं दी जा सकती कि सीबीआई असंतुष्ट है।
25 अगस्त को सीबीआई की याचिका पर सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट
भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ चारा घोटाले से संबंधित डोरंडा कोषागार मामले में झारखंड हाई कोर्ट द्वारा लालू यादव को दी गई जमानत को रद्द करने की मांग वाली सीबीआई की याचिका पर 25 अगस्त को सुनवाई करेगी।
बढ़ती उम्र और खराब स्वास्थ्य का दिया हवाला
अपने जवाब में लालू यादव ने खराब स्वास्थ्य और बढ़ती उम्र का हवाला देते हुए कहा कि उन्हें हिरासत में रखने से कोई मकसद पूरा नहीं होगा। उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने की कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि यह सामान्य सिद्धांतों और समान नियमों पर आधारित है।
चारा घोटाला मामले में कब दोषी ठहराए गए लालू यादव?
15 फरवरी 2022 को रांची की सीबीआई कोर्ट ने चारा घोटाला मामले में लालू यादव को दोषी करार दिया था। 21 फरवरी को उन्हें पांच साल की कैद और 60 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई गई। 75 वर्षीय राजद नेता के पास घोटाले की अवधि के दौरान अविभाजित बिहार का वित्त विभाग था, जिसके वह मुख्यमंत्री थे।
लालू यादव को कथित तौर पर पशुपालन विभाग के माध्यम से रिश्वत मिली थी। फर्जी चालान और बिल जारी किए गए, जिन्हें वित्त विभाग द्वारा मंजूरी दे दी गई और राजकोष के माध्यम से पैसा जारी किया गया। राजद संरक्षक को इससे पहले झारखंड में दुमका, देवघर और चाईबासा कोषागार से संबंधित चार अन्य मामलों में 14 साल जेल की सजा सुनाई गई थी।