पर्यटकों की नहीं होती है थर्मल स्क्रीनिंग
राजगीर (नालंदा) (आससे)। सूबे के साथ जिले में कोरोना का ग्राफ बढ़ता जा रहा है। कोरोना का दूसरा फेज लोगों को डराने लगा है। सरकार लोगों की सुरक्षा के लिए कई एहतियात बरत रही है। शिक्षण संस्थानों व मंदिरों को बंद कर दी गयी है। हालांकि पार्क को खोला रखा गया है। सरकार लगातार लोगों से मास्क पहनने और सोशल डिस्टेंसिंग पालन करने के लिए कह रही है। इन दिनों राजगीर पर्यटन नगरी में नेचर सफारी में ग्लास स्काई वॉक पर चढ़ने के लिए लोग यहां पहुंच रहे हैं।
हालांकि बढ़ रही गर्मी व कोरोना के डर से भीड़ में कमी आयी है। मंगलवार को दोपहर तक 300 पर्यटकों ने नेचर सफारी जाने के लिए टिकट कटवाया था। वहीं उतने ही लोगों ने ग्लास स्काई वॉक पर चढ़ने का टिकट लिया। सुबह में थोड़ी भीड़ होती है। सरकार के गाइडलाइन के बाद भी यहां काउंटर के पास आने वाले आधे से अधिक लोग मास्क तो पहन रहे हैं पर वे सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं कर रहे हैं। एक दूसरे में सटकर कतार में खड़ा हो रहे है। यहां पर कोई शेड की व्यवस्था नहीं है। इतना ही नहीं यहां पर काम करने वाले वनकर्मी जो आने वाले लोगों को वाहन पार्क करने या अन्य को नियंत्रित करने को डड्ढूटी में लगे हैं जो बिना मास्क पहने ही अपनी डड्ढूटी बजा रहे हैं।
वहीं दूसरों को मास्क पहनने की नसीहत दे रहे हैं। दूसरी ओर सरकार ने कोरोना को लेकर जहां राजगीर के धार्मिक स्थलों को बंद करवा दी है। इस कारण गर्म कुंड भी बंद हो गयी है। व्रति इसमें डूबकी लगाने से वंचित हो जा रहे हैं। वहीं वाटर पार्क सहित अन्य पार्क भी खुले हैं। इसमें सैंकड़ों लोग इसमें जाकर लुफ्त उठा रहे हैं।
सरकार ने वाहनों के परिचालन के लिए यह फरमान जारी किया है कि बस पर आधी संख्या में ही पैसेंजर बैठायी जाय। वहीं सरकार द्वारा संचालित नेचर सफारी में जाने वाली बसों में फूल सीट पर पैसेंजर बैठायी जा रही है। लोगों ने कहा कि वहां पर आकर सारी गाइडलाइनें फेल होती नजर आ रही है।
नेचर सफारी में जाने वाले को कोरोना को लेकर कोई एहतियात नहीं बरती जा रही है। वहां न तो थर्मामीटर से जांच की जाती है और न ही किसी पर्यटक को सेनेटाइजर दी जाती है। यहां पर रोज विभिन्न जगहों के लोग आते हैं। इससे कभी भी कोरोना का खतरा बढ़ सकता है। इससे पहले नेचर सफारी के एक वनकर्मी कोरोना पॉजिटिव हो चुके हैं।