गहलोत ने खड़गे को जिताने के लिए एक वीडियो संदेश इंटरनेट मीडिया पर वायरल किया है। संदेश में गहलोत ने कहा,कांग्रेस अध्यक्ष वो हो जो अनुभव के साथ संगठन, नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ संपर्क रखता हो।
उसकी हैसियत ऐसी हो जो तमाम विपक्षी दलों से बातचीत कर सकता हो। केंद्र सरकार और भाजपा से अब सब दलों को मिलकर संघर्ष करना है। अध्यक्ष ऐसा व्यक्ति बने जो सबको साथ लेकर चलने की क्षमता रखता हो। उनकी योग्यता देखकर हम उनके प्रस्तावक बने।
खड़गे अनुभवी व्यक्तित्व के धनी
गहलोत ने कहा, मैं उम्मीद करता हूं जो भी प्रतिनिधि हैं वो भारी बहुमत से खड़गे को कामयाब करेंगे। कामयाब होने के बाद वो हम सबका मार्गदर्शन करेंगे, कांग्रेस मजबूत होकर प्रतिपक्ष के रूप में सामने आएगी। खड़गे अनुभवी व्यक्तित्व के धनी हैं। नौ बार विधानसभा और दो बाद लोकसभा को मिलाकर उनका 50 साल का अनुभव है। दरअसल,गहलोत नामांकन के समय खड़गे के प्रस्ताव बने थे।
उल्लेखनीय है कि कांग्रेस चुनाव प्राधिकरण के अध्यक्ष मनुसूदन मिस्त्री ने 30 सितंबर को गाइडलाइन जारी की थी। इस गाइडलाइन के अनुसार कांग्रेस के प्रभारी महासचिव, सचिव, राष्ट्रीयपदाधिकारी, विधायक दल के नेता, प्रवक्ता अध्यक्ष पद के किसी भी उम्मीदवार का पद पर रहते हुए प्रचार नहीं कर सकते हैं।
अगर उन्हें किसी उम्मीदवार का प्रचार करना है तो पहले उन्हें पद छोड़ना होगा। खड़गे का प्रचार करने के लिए कई नेताओं ने पदों से इस्तीफे दिए हैं। अब इस गाइडलाइन का उल्लंघन कर गहलोत ने खड़गे के लिए वोट मांगे हैं।
यह रणनीति हो सकती है
उल्लेखनीय है कि 25 सितंबर को जयपुर में कांग्रेस विधायक दल की बैठक के लिए केंद्रीय पर्यवेक्षक के तौर पर महासचिव अजय माकन और खड़गे जयपुर आए थे। बैठक में सीएम सहित सभी निर्णय करने का अधिकार पार्टी अध्यक्ष सोनिया को सौंपे जाने का एक लाइन का प्रस्ताव पारित होना था।
लेकिन गहलोत समर्थकों को इस बात की आशंका थी कि प्रस्ताव पारित होने के बाद आलाकमान सचिन पायलट को सीएम बना सकता है। ऐसे में गहलोत समर्थक विधायक बैठक में नहीं पहुंचे और विधानसभा अध्यक्ष से मिलकर उन्होंने इस्तीफे सौंप दिए थे।माकन और खड़गे विधायकों का इंतजार करते रहे।
सोनिया से गहलोत की मुलाकात
सूत्रों के अनुसार समर्थक विधायकों के इस रवैये सोनिया और महासचिव प्रियंका गांधी काफी नाराज हुए थे। उन्होंने एक बार तो सीएम को मिलने का समय तक नहीं दिया था। बाद में अंबिका सोनी के दखल के बाद सोनिया से गहलोत की मुलाकात हुई थी।
मुलाकात में गहलोत ने सोनिया से माफी मांगी थी। माना जा रहा है कि गहलोत की कुर्सी अब भी सुरक्षित नहीं है। खड़गे का अध्यक्ष बनना तय माना जा रहा है। माना जा रहा है कि खड़गे के अध्यक्ष बनते ही राजस्थान के सीएम को लेकर फैसला होगा । ऐसे में गहलोत ने कुर्सी बचाने के लिए गाइडलाइन की अनदेखी कर खड़गे को खुश करने का प्रयास किया है।