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राजस्थान में सियासी घमासान तेज, गहलोत गुट के विधायकों ने आलाकमान के सामने रखी ये तीन शर्तें


नई दिल्ली, । कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव नजदीक आते ही राजस्थान में सीएम की कुर्सी को लेकर मचा सियासी घमासान और तेज हो गया है। सीएम अशोक गहलोत को कांग्रेस का अध्यक्ष बनाए जाने की चर्चाएं हैं। ऐसे में कांग्रेस की ‘एक व्यक्ति एक पद’ के चलते गहलोत को सीएम की कुर्सी छोड़नी होगी। गहलोत द्वारा सीएम पद छोड़ने और सचिन पायलट को नया सीएम बनाए जाने की चर्चाओं के बीच राजस्थान कांग्रेस में फूट पड़ गई है।

अशोक गहलोत के समर्थक विधायकों ने मोर्चा खोल दिया है। गहलोत के समर्थन में 85 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया है। इस्तीफा देने वाले विधायकों ने साफ कहा है कि उनकी राय के बिना सीएम का फैसला नहीं किया जा सकता।

बेनतीजा रही बैठक

रविवार देर रात तक पार्टी के केंद्रीय पर्यवेक्षकों अजय माकन और मल्लिकार्जुन खड़गे की विधायकों के साथ अलग-अलग बैठकें चलती रहीं, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकल सका।

विधायकों ने रखी ये तीन शर्तें

अजय माकन ने कहा कि मैं और मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस पर्यवेक्षकों के रूप में बैठक करने आए थे। जो विधायक बैठक में नहीं आए उनसे हम एक-एक कर बात कर रहे हैं। विधायक प्रताप खाचरियावास, एस धारीवाल और सीपी जोशी ने मुलाकात में तीन मांग रखी हैं।

 

माकन ने बताया कि इनमें से एक मांग ये है कि 19 अक्टूबर के बाद कांग्रेस अध्यक्ष को जिम्मेदारी (मुख्यमंत्री नियुक्त करने की) दी जाए। हमने कहा कि इससे हितों का टकराव होगा। दूसरी शर्त है कि वे ग्रुप में साथ आना चाहते हैं जबकि हम एक-एक कर बात करेंगे। हमने साफ कर दिया कि इस तरह से काम नहीं हो सकता।

माकन ने बताई तीसरी शर्त

माकन ने बताया कि तीसरी शर्त यह थी कि सीएम उन 102 विधायकों में से हों, जो अशोक गहलोत के वफादार हों, न कि सचिन पायलट या उनके समूह में से। हमने कहा कि उनकी भावनाओं से कांग्रेस अध्यक्ष को अवगत कराया जाएगा। सीएम अशोक गहलोत और अन्य सभी से बात करने के बाद इस पर फैसला लिया जाएगा।