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राज्यसभा के कई सदस्यों की मांग, यूक्रेन से निकाले गए छात्रों का भविष्य सुरक्षित करने को कदम उठाए सरकार


 

 नई दिल्ली, । राज्यसभा में कई सदस्यों ने सोमवार को यूक्रेन से निकाले गए भारतीय छात्रों के भविष्य से जुड़ा मुद्दा उठाया। उन्होंने सरकार से मांग की कि वह इन छात्रों की पढ़ाई पूरी करने में मदद करने के लिए कदम उठाए। बजट सत्र के दूसरे चरण के पहले दिन सभापति एम. वेंकैया नायडू ने कहा कि यूक्रेन के हालात के मद्देनजर बड़ी संख्या में वहां से भारतीय छात्रों को निकाले जाने की जरूरत थी। यह बेहद चुनौतीपूर्ण काम था। सरकार ने न सिर्फ भारतीय छात्रों को बल्कि कुछ विदेशी छात्रों को भी वहां से निकाला। ये प्रयास सराहनीय हैं।

सांसदों ने की छात्रों पढ़ाई पूरी करने में मदद करने की मांग 

सभापति ने सदस्यों को सूचित किया कि इस मुद्दे पर संबंधित मंत्री बयान देंगे और सदस्य स्पष्टीकरण मांग सकते हैं।शून्यकाल में यह मुद्दा उठाते हुए तेदेपा के के. रविंद्र कुमार ने कहा कि भारत से कई छात्र मेडिकल शिक्षा के लिए यूक्रेन गए थे। उनकी सुरक्षा तो सुनिश्चित हो गई है, लेकिन उनका भविष्य दांव पर है। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि उनका भविष्य सुरक्षित करने के लिए भी जरूरी कदम उठाए जाएं।

सभापति वेंकैया नायडू ने बताया, संबंधित मंत्री देंगे बयान

कांग्रेस के केसी वेणुगोपाल ने कहा कि यूक्रेन से लौटे छात्रों के समक्ष बड़े कठिन हालात हैं और उनके भविष्य को लेकर उनके परिवार भी बेहद चिंतित हैं। उनकी पढ़ाई रुक गई है। सरकार को साफ करना चाहिए कि वह क्या कदम उठाएगी। बीजद के अमर पटनायक ने सुझाव दिया कि सरकारी और निजी मेडिकल कालेजों में सीटों की संख्या दो से पांच प्रतिशत तक बढ़ा दी जाएं ताकि यूक्रेन से लौटे छात्रों की पढ़ाई प्रभावित न हो। तृणमूल कांग्रेस के शांतनु सेन ने कहा कि सरकार ने पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले छात्रों की इंटर्नशिप पूरी करवाने की जिम्मेदारी ली है, लेकिन पहले, दूसरे और तीसरे वर्ष के छात्रों को भी भारत में समायोजित करने के लिए कुछ विशेष कदम उठाने की जरूरत है।