नई दिल्ली, । राज्यसभा चुनाव को लेकर सियासी हलचल तेज हो गई है। राजस्थान, हरियाणा, महाराष्ट्र और कर्नाटक में चुनाव को देखते हुए भाजपा ने जहां प्रभारी नियुक्त किया है। वहीं कांग्रेस हरियाणा और राजस्थान में अपने विधायकों के पाला बदलने के डर से आशंकित होटल में शिफ्ट करने की तैयारी में है। सूत्रों के मुताबिक राजस्थान में कांग्रेस और समर्थक विधायकों को एकजुट रखने के लिए 3 जून से उदयपुर में बाड़ेबंदी की तैयारी की जा रही है। सभी विधायकों को उसी होटल में ठहराया जाएगा, जहां पिछले महीने कांग्रेस का चिंतन शिविर हुआ था। कांग्रेस इससे पहले भी साल 2020 में विधायकों की बाड़ेबंदी कर चुकी है। इधर, हरियाणा में भी विधायकों को राजस्थान में शिफ्ट करने की तैयारी की जा रही है। हरियाणा से सटे राजस्थान के बॉर्डर के आसपास सभी विधायकों को रखने की तैयारी है। हालांकि पिछले दिनों कांग्रेस विधायक दल की बैठक में कुलदीप विश्नोई शामिल नहीं हुए। ऐसे में उनको लेकर भी अटकलें लगाई जा रही हैं।
पांच जोड़ी कपड़ों के साथ हरियाणा के कांग्रेस विधायक दिल्ली तलब
हरियाणा में राज्यसभा चुनाव को लेकर विपक्ष और सत्तापक्ष के बीच शह-मात का खेल शुरू हो गया है। राज्य की दो सीटों पर भाजपा और कांग्रेस उम्मीदवार के अतिरिक्त निर्दलीय उम्मीदवार कार्तिकेय शर्मा की दावेदारी ने कांग्रेस को चौकन्ना कर दिया है। निर्दलीय उम्मीदवार को परोक्ष रूप से भाजपा, उसकी सहयोगी पार्टी जजपा व निर्दलीय विधायकों ने खुला समर्थन दिया है। तीसरा उम्मीदवार होने की वजह से दो सीटों पर 10 जून को वोट पड़ेंगे। तोड़फोड़ की आशंका से कांग्रेस ने अपने सभी 31 विधायकों को दिल्ली तलब कर लिया है। कांग्रेस के सभी विधायकों को पार्टी की तरफ से पांच जोड़े कपड़े के साथ लंबे सफर पर निकलने की तैयारी के साथ दिल्ली बुलाया गया है। माना जा रहा है कि इन विधायकों को छत्तीसगढ़ के रायपुर में भारत दर्शन पर भेजा जाएगा, यहां कांग्रेस की सरकार है।
राजस्थान में भी कांग्रेस के टूटने की आशंका
राजस्थान में राज्यसभा के लिए भाजपा समर्थित निर्दलीय प्रत्याशी सुभाष चंद्रा की सेंधमारी के डर कांग्रेस अपने और समर्थक विधायकों की तीन से 10 जून तक बाड़ेबंदी करेगी। इनको एक साथ होटल में रखा जाएगा। जयपुर और उदयपुर में एक-एक होटल बुक कराए गए हैं। विधायकों को 10 जून को मतदान के दिन होटल से सीधे विधानसभा लाया जाएगा। बुधवार से कांग्रेस के चिंतन शिविर में किए गए बड़े फैसलों को धरातल पर उतारने को लेकर दो दिवसीय शिविर की शुरूआत हुई। गुरुवार को शिविर समाप्त होने के बाद होटल से सीधे विधायकों को बाड़ेबंदी में ले जाया जाएगा। कांग्रेस को समर्थन कर रहे 13 निर्दलीय विधायकों में टूट की आशंका है। मंगलवार को सीएम द्वारा बुलाई गई बैठक में चार विधायकों के नहीं पहुंचने के बाद यह चिंता ज्यादा बढ़ गई है। इस बीच कांग्रेस के विधायकों में भी राज्यसभा चुनाव में तीनों प्रत्याशी बाहरी होने पर नाराजगी है।
भाजपा राज्यसभा चुनावों के लिए केंद्रीय मंत्रियों को प्रभारी नियुक्त किया
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने भी राज्यसभा चुनावों अपने उम्मीदवारों की जीत सुनिश्चित करने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती। पार्टी ने केंद्रीय मंत्रियों नरेंद्र सिंह तोमर और गजेंद्र सिंह शेखावत को क्रमश: राजस्थान और हरियाणा का प्रभारी नियुक्त किया। दोनों ही राज्यों में भाजपा समर्थित निर्दलीय उम्मीदवारों के चुनावी मैदान में उतरने से मुकाबला नजदीकी और रोचक हो गया है। वहीं केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव को महाराष्ट्र में राज्यसभा चुनाव के लिए प्रभारी बनाया गया है जबकि केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी को कर्नाटक में राज्यसभा चुनाव के लिए प्रभारी नियुक्त किया गया है। इस दोनों ही राज्यों में राज्यसभा चुनाव में कांटे की टक्कर देखने को मिल सकती है।
राजस्थान में कांग्रेस के लिए तीसरी सीट पर राह आसान नहीं
राजस्थान में राज्यसभा की 4 सीटों पर चुनाव होना है, जिसमें हर उम्मीदवार को जीत के लिए 41-41 विधायकों के वोट चाहिए। कांग्रेस ने 3 उम्मीदवार रणदीप सुरजेवाला, मुकुल वासनिक और प्रमोद तिवारी को उतारा है, जबकि भाजपा ने घनश्याम तिवारी को उम्मीदवार बनाया है। वहीं एस्सेल ग्रुप के चेयरमैन सुभाष चंद्रा ने भाजपा समर्थन से निर्दलीय पर्चा भरा है। कांग्रेस के पास खुद के 108 विधायक हैं। एक आरएलडी के सुभाष गर्ग हैं। 13 निर्दलीय, दो सीपीएम और दो बीटीपी विधायकों को मिलाकर कांग्रेस ने 126 विधायकों के समर्थन का दावा किया है। कांग्रेस के इस दावे के बावजूद सेंध का खतरा बना हुआ है। नाराज विधायक तीसरे सीट पर कांग्रेस का समीकरण बिगाड़ सकते हैं। चार निर्दलीय, दो बीटीपी विधायक कांग्रेसी खेमे से खिसके तो संख्या बल 120 ही रह जाएगा। ऐसे में तीसरे उम्मीदवार के जीतने पर ग्रहण लग सकता है।
हरियाणा में कांग्रेस की गणित गड़बड़ होने का डर
हरियाणा में राज्यसभा की कुल 2 सीटों पर चुनाव होना है, जिसमें हर उम्मीदवार को 31-31 विधायकों के वोट चाहिए। कांग्रेस के पास 31 विधायकों का समर्थन है, इसके बावजूद पार्टी को क्रॉस वोटिंग का डर सता रहा है। हरियाणा में कांग्रेस ने अजय माकन और भाजपा ने कृष्णलाल पंवार को उम्मीदवार बनाया है। वहीं कार्तिकेय शर्मा ने निर्दलीय पर्चा भरा है, उन्हें दुष्यंत चौटाला की पार्टी जजपा का समर्थन मिला है, जिसके पास 10 विधायक हैं। कागज पर मजबूत कांग्रेस में कुलदीप विश्नोई समेत कई विधायक नाराज हैं। ऐसे में पार्टी को डर है कि वोटिंग में इसका असर देखने को न मिले। 2016 के चुनाव में क्रॉस वोटिंग की वजह से कांग्रेस हरियाणा में हार चुकी है।
महाराष्ट्र में शिवसेना का भाजपा से मुकाबला
महाराष्ट्र में राज्यसभा की 6 सीटों पर चुनाव होना है, जिसमें हर सीट के लिए 42 विधायकों के वोट चाहिए। शिवसेना, कांग्रेस और राकांपा के पास एक-एक सीट जीतने के लिए प्रयाप्त संख्या है, जबकि भाजपा दो सीटें आसानी से जीत जाएगी। शिवसेना ने यहां पर 2 उम्मीदवार उतारे हैं, जिसके लिए उसे अपने सहयोगियों और अन्य निर्दलीय उम्मीदवारों से 30 और वोटों की आवश्यकता है। भाजपा ने भी यहां पर तीसरे उम्मीदवार धनंजय महादिक से पर्चा दाखिल करवा दिया है, जिसके बाद मुकाबला रोचक हो गया है। भाजपा के पास तीसरे उम्मीदवार के लिए 22 वोट बचे हैं। वहीं अगर निर्दलीय और कांग्रेस-रांकपा का वोट खिसका तो छठी सीट पर पेंच फंस सकती है।
कर्नाटक में 4 सीटों के लिए 6 उम्मीदवार, दांवपेंच शुरु
कर्नाटक में राज्यसभा की 4 सीटों पर चुनाव होना है, जिसमें प्रत्येक सीट के लिए 46 विधायकों का वोट जरूरी है। भाजपा के पास 121 विधायक हैं। ऐसे में पार्टी की ओर से 2 सदस्यों का सदन जाना तय है, लेकिन भाजपा ने यहां तीसरा उम्मीदवार भी उतार दिया है। वहीं कांग्रेस के पास 70 विधायक हैं, जिसमें एक सदस्य का राज्यसभा में जाना तय माना जा रहा है। पार्टी ने यहां दूसरा उम्मीदवार भी उतार दिया है। इसके अलावा 32 सीटों वाली जेडीएस ने भी उम्मीदवार खड़ा कर दिया है। ऐसे में यहां पर 4 सीटों के लिए कुल 6 उम्मीदवार हो गए हैं, जिससे मुकाबला रोचक हो गया है। कांग्रेस, भाजपा और जेडीएस तीनों पार्टियों को उम्मीद है कि चुनावी साल में बागी विधायक उनका समर्थन करेंगे, जिससे उनके उम्मीदवार राज्यसभा में पहुंच जाएंगे।
बता दें कि देश के 15 राज्यों से राज्यसभा की 57 सीटों को भरने के लिए 10 जून को चुनाव होने हैं। इनमें राजस्थान की चार, महाराष्ट्र की छह, कर्नाटक की चार और हरियाणा की दो सीटों के लिए चुनाव होने हैं। नतीजे 10 जून को ही घोषित किये जाएंगे।