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राम मंदिर अनुष्ठान में भी हो सकती है संसद जैसी घटना, ‘टुकड़े-टुकड़े गैंग जैसी प्रवृत्तियां देश को करना चाहती हैं खंडित’


नई दिल्ली। संसद की सुरक्षा में चूक के हालिया घटनाक्रम के बीच राम मंदिर तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट द्वारा अगले वर्ष बहुप्रतिक्षित राम मंदिर अनुष्ठान में भी इस तरह के अप्रिय घटना को लेकर आशंका व्यक्त की गई है। ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष गोविंद देव गिरि महाराज के अनुसार, जिस तरह से संसद में घुसकर हंगामा किया गया, उस तरह की कोशिश राम जन्मभूमि मंदिर में रामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान और उसके बाद भी की जा सकती है।

आइजीएनसीए में पुस्तक राम जन्मभूमि अयोध्या: अतीत से वर्तमान, का विमोचन करते (मध्य में) गोविंद देव गिरि महाराज व स्वामी जीतेंद्रानंद सरस्वती, (बाएं से) पुस्तक के लेखक डा. अमित राज जैन, आलोक कुमार, लोकेश मुनि महाराज, (दाएं से) प्रशांत जैन व बलबीर पुंज।

इसलिए सचेत रहने की आवश्यकता है। साथ ही उन्होंने ऐसे किसी घटनाक्रम को रोकने के लिए समाज से सज्जनता और शक्ति धारण करने के साथ सक्रिय तथा सावधान रहने की आवश्यकता पर भी जोर दिया है।

देश को खंडित करने के देख रहे सपने

उन्होंने कहा कि विश्व में ऐसे अनेकों देश हैं, जो भारत में उथल-पुथल चाहते हैं। वह देश को खंडित करने के मंसूबे देख रहे हैं। यह तोड़ने वाले टुकड़े-टुकड़े गैंग जैसी प्रवृत्तियां देश के भीतर भी मौजूद हैं। ऐसे में हमें ऐसा राष्ट्र खड़ा करना है जिसमें कोई राम मंदिर क्या, किसी मंदिर को भी टेढ़ी नजर से न देख पाए।

आईजीएनसीए में इतिहासकार व लेखक अमित राय जैन की पुस्तक “राम जन्मभूमि अयोध्या: अतीत से वर्तमान” के विमोचन अवसर पर उन्होंने कहा कि मंदिर आंदोलन राष्ट्रीय व राष्ट्र विरोधी शक्तियों के बीच का संघर्ष था, जो प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के वक्त से है।

विहिप ने कांग्रेस पर साधा निशाना

उनकी बातों को आगे बढ़ाते हुए विहिप (विश्व हिंदू परिषद) के केंद्रीय कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने दावा किया कि सत्ता प्राप्ति की जल्दी और नेहरू की ढलती अवस्था के कारण स्वतंत्रता नहीं बल्कि पराजय को स्वीकार कर वर्ष 1947 में भारत के टुकड़े किए गए थे, जिसे स्वतंत्रता बताते हुए कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने जश्न मनाया था।

अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री जीतेंद्रानंद सरस्वती ने मंदिरों से देश की सुदृढ़ अर्थव्यवस्था का जिक्र करते हुए कहा कि यह देखते हुए ही मुगलों ने मंदिरों को सर्वाधिक निशाना बनाया। जबकि विश्व में मंदिर केंद्रीय अर्थव्यवस्था से बेहतर कोई और नहीं है।

इसे ऐसे समझा जा सकता है कि काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के लोकार्पण के बाद वर्ष 2022 में करीब 10 करोड़ लोगों ने काशी की यात्रा की है। अब जबकि राम मंदिर के पट भक्तों के लिए खुलने जा रहे हैं तो अयोध्या में भी भक्तों का वही प्रवाह देखने को मिलेगा। इस मौके पर अहिंसा विश्व भारती के संस्थापक लोकेश मुनि व पत्रकार बलबीर पुंज ने भी अपने विचार रखें।