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Parliament : ऐसे ही नहीं लगी संसद की सुरक्षा में सेंध, IB-RAW और पुलिस को कुछ माननीयों पर साजिश रचने का शक


नई दिल्ली। संसद भवन की सुरक्षा में सेंध मामले में दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल की काउंटर इंटेलीजेंस, आईबी और रॉ (RAW) पिछले पांच दिनों से गहन जांच में जुटी हुई हैं। जांच एजेंसियां अब तक आरोपितों द्वारा रची गई साजिश व उनके मकसद का स्पष्ट पता नहीं लगा पाई हैं।

आरोपितों द्वारा रची गई साजिश के सामने जिस तरह से संसद की सुरक्षा व्यवस्था ध्वस्त हुई, उससे जांच एजेंसियों को शक गहरा रहा है कि कुछ माननीयों की मिलीभगत है, जिनसे आरोपितों को संसद के अंदर के बारे में जानकारी मिली है।

पहली बार में संसद में घुसकर कैसे दिया वारदात को अंजाम

ऐसा इसलिए माना जा रहा है, क्योंकि संसद भवन के अंदर से पकड़े गए सागर शर्मा (लखनऊ) और मनोरंजन गौड़ (मैसूरु) वारदात से पहले कभी नए संसद के अंदर नहीं गए थे। दोनों पेशेवर अपराधी भी नहीं हैं। ऐसे में 13 दिसंबर को पहली बार ही वे संसद के अंदर जाकर वारदात को अंजाम देने में कैसे सफल हो गए?

बड़े स्तर पर साजिश रचने की आशंका

संसद की सुरक्षा में सेंध की उच्च स्तरीय जांच की जा रही है। स्पेशल सेल समेत तमाम केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियां जांच में जुटी हुई हैं। इस मामले में जांच को लेकर अब तक कोई अधिकारिक जानकारी साझा नहीं किए जाने से कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। जिस तरह से सागर शर्मा व मनोरंजन गौड़, संसद के अंदर घुसकर वारदात को अंजाम देने में सफल हो गए, उससे जांच एजेंसियां यह मान रही हैं कि इसकी बड़े स्तर पर साजिश रची गई है।

इसी के मद्देनजर मुकदमे में गैर कानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के साथ दिल्ली पुलिस ने आपराधिक साजिश रचने की धारा भी लगाई है। जांच एजेंसी यह मान रही है कि दिल्ली दंगे, टूलकिट व किसान आंदोलन की तरह यह भी सरकार के खिलाफ रची गई बड़ी साजिश है।

सांसद के पास के जरिए की गई रेकी

सागर शर्मा ने जुलाई में पुराने संसद भवन के अंदर जाकर रेकी करने की कोशिश की थी, लेकिन अंदर जाने में असफल रहने पर वह बाहर का नजारा देख सुरक्षा-व्यवस्था भांपकर वापस लखनऊ लौट गया था। मार्च में बजट सत्र के दौरान मनोरंजन गौड़ ने किसी सांसद के पास के जरिए संसद के अंदर आकर दर्शक दीर्घा में बैठकर रेकी की थी।

सुरक्षा को भांपने के बाद बनाया प्लान

उस दौरान उसने भांप लिया था कि संसद के अंदर जाने के दौरान आम लोगों को किस तरह की सुरक्षा जांच से गुजरना पड़ता है। उसने देखा था कि जूतों की जांच नहीं की जाती है। इस पर उसने सुरक्षा जांच संबंधी प्रक्रिया के बारे में आरोपितों से साझा किया था फिर ऐसी रणनीति बनाई गई, जिससे सुरक्षा चक्रव्यूह को ध्वस्त कर अंदर घुसा जा सके।

राज्यों से दो-तीन दिन पहले दिल्ली पहुंचे

उसी रणनीति के तहत जूते के सोल में विशेष केविटी बनवाए गए और उसके अंदर कलर स्मोक क्रैकर छिपाकर संसद के अंदर प्रवेश कर वारदात को अंजाम दिया गया। पूरी तैयारी करने के बाद आरोपित अपने-अपने राज्यों से वारदात से दो-तीन दिन पहले दिल्ली आ गए थे।

14 दिसंबर था पहले वारदात का दिन

यहां से सभी गुरुग्राम में विक्की शर्मा के घर पहुंचे और वहां दो दिन रुकने के बाद आरोपितों ने 14 दिसंबर को वारदात के लिए दिन तय किया, लेकिन 13 दिसंबर को ही एक सांसद से पास का बंदोबस्त हो जाने पर उसी दिन वारदात को अंजाम दे दिया गया।

सूत्रों की मानें तो सागर शर्मा व मनोरंजन को संसद के अंदर व सुरक्षा जांच के बारे में पूरी जानकारी थी। 13 दिसंबर को पांच आरोपित सागर शर्मा, मनोरंजन गौड़, नीलम आजाद (जींद, हरियाणा), अलोल शिंदे (लातूर, महाराष्ट्र) व ललित झा (दरभंगा, बिहार) पांच सुबह ही संसद भवन के पास पहुंच गए।

तीन आरोपित गेट नंबर-1 के बाहर रुक गए, जबकि सागर व मनोरंजन समय पर संसद भवन के पास पहुंच सुरक्षा जांच की पंक्ति में लग गए ताकि उन्हें दर्शक दीर्घा में सबसे आगे की पंक्ति में जगह मिल सके, जहां से वे पिलर के सहारे संसद दीर्घा में कूद सकें। यह सब किसी माननीयों की मिलीभगत का ही नतीजा माना जा रहा है।

योजना के तहत दोनों को आगे की पंक्ति में जगह मिल गई। संसद की कार्यवाही शुरू होने पर दोनों दोपहर 12:30 बजे पिलर के सहारे अंदर कूद गए और कलर स्मोक क्रैकर से संसद को धुआं-धुआं कर नारेबाजी शुरू कर दी थी। सूत्रों के मुताबिक उस दौरान मार्शल की भी नजर दोनों पर जल्द नहीं पड़ी अन्यथा कूदने के दौरान ही दोनों दबोच लिए जाते।