News TOP STORIES नयी दिल्ली राष्ट्रीय लखनऊ

राष्ट्रपति के रूप में रामनाथ कोविंद का आखिरी संदेश, बोले- अपने बच्चों के लिए बचाएं धरती


नई दिल्‍ली, । निवर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (Outgoing President Ram Nath Kovind) ने रविवार को राष्ट्र को संबोधित किया। कोविंद ने कहा कि 5 साल पहले मैं आपके चुने हुए जनप्रतिनिधियों के माध्यम से राष्ट्रपति चुना गया था। राष्ट्रपति के रूप में मेरा कार्यकाल समाप्त हो रहा है। मैं आप सभी और आपके जन प्रतिनिधियों के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करना चाहता हूं। मेरे इस कार्यकाल के दौरान समाज के सभी वर्गों से पूरा सहयोग, समर्थन और आशीर्वाद प्राप्‍त हुआ।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पद छोड़ने की पूर्व संध्या पर अपने संबोधन में कहा कि जलवायु परिवर्तन का संकट हमारी धरती के भविष्य के लिए गंभीर खतरा बना हुआ है। हमें अपने बच्चों की खातिर अपने पर्यावरण, अपनी जमीन, हवा और पानी का संरक्षण करना है। राष्ट्रपति के रूप में मेरा कार्यकाल अब समाप्त हो रहा है। मैं आप सभी के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करता हूं। मैं सभी देशवासियों के प्रति हार्दिक कृतज्ञता व्यक्त करता हूं। भारत माता को सादर नमन करते हुए मैं आप सभी के उज्ज्वल भविष्य की मंगल कामना करता हूं।

रामनाथ कोविंद (Outgoing President Ram Nath Kovind) ने कहा कि कानपुर देहात जिले के परौंख गांव के अति साधारण परिवार में पला-बढ़ा यह कोविन्द आज आप सभी देशवासियों को संबोधित कर रहा है, इसके लिए मैं अपने देश की जीवंत लोकतांत्रिक व्यवस्था की शक्ति को शत-शत नमन करता हूं। राष्ट्रपति के कार्यकाल के दौरान अपने पैतृक गांव का दौरा करना और अपने कानपुर के विद्यालय में वयोवृद्ध शिक्षकों के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लेना मेरे जीवन के सबसे यादगार पलों में हमेशा शामिल रहेंगे।

राष्‍ट्रपति कोविंद ने कहा- 19वीं शताब्दी के दौरान पूरे देश में पराधीनता के विरुद्ध अनेक विद्रोह हुए। देशवासियों में नई आशा का संचार करने वाले ऐसे विद्रोहों के अधिकांश नायकों के नाम भुला दिए गए थे। अब उनकी वीर-गाथाओं को आदर सहित याद किया जा रहा है। तिलक और गोखले से लेकर भगत सिंह और नेताजी सुभाष चन्द्र बोस तक; जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल और श्यामा प्रसाद मुखर्जी से लेकर सरोजिनी नायडू और कमलादेवी चट्टोपाध्याय तक इन विभूतियों का एक ही लक्ष्य (आजादी) के लिए तत्पर होना, मानवता के इतिहास में अन्यत्र नहीं देखा गया है।

राष्‍ट्रपति ने कहा- संविधान सभा में पूरे देश का प्रतिनिधित्व करने वाले अनेक महानुभावों में हंसाबेन मेहता, दुर्गाबाई देशमुख, राजकुमारी अमृत कौर और सुचेता कृपलानी समेत 15 महिलाएं भी शामिल थीं। संविधान सभा के सदस्यों के अमूल्य योगदान से निर्मित भारत का संविधान, हमारा प्रकाश स्तम्भ रहा है। हमारे पूर्वजों और हमारे आधुनिक राष्ट्र-निर्माताओं ने अपने कठिन परिश्रम और सेवा भावना के द्वारा न्याय, स्वतंत्रता, समता और बंधुता के आदर्शों को चरितार्थ किया था। हमें केवल उनके पदचिह्नों पर आगे बढ़ते रहना है।

राष्‍ट्रपति ने कहा कि 21वीं सदी को भारत की सदी बनाने के लिए हमारा देश सक्षम हो रहा है, यह मेरा दृढ़ विश्वास है। अपने कार्यकाल के पांच वर्षों के दौरान, मैंने अपनी पूरी योग्यता से अपने दायित्वों का निर्वहन किया है। मैं राजेंद्र प्रसाद, एस. राधाकृष्णन और एपीजे अब्दुल कलाम जैसी महान विभूतियों का उत्तराधिकारी होने के नाते बहुत सचेत रहा हूं। अपनी जड़ों से जुड़े रहना भारतीय संस्कृति की विशेषता है। मैं युवा पीढ़ी से यह अनुरोध करूंगा कि अपने गांव या नगर और अपने विद्यालयों के साथ ही शिक्षकों से जुड़े रहने की इस परंपरा को आगे बढ़ाते रहें।