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राहत की उम्मीदें पाले माननीय हुए मायूस, वित्त मंत्री ने दिखाई राजधर्म की लकीर,


नई दिल्ली। चुनावी मौसम में बजट से बड़े सौगात की उम्मीद लगाए माननीयों को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की राजधर्म की लकीर ने मायूस किया है। लोकसभा में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की बजट घोषणाओं पर नजर लगाए विपक्षी सांसदों को जब सौगातों की बौछार तो दूर राहत की फुहार नहीं मिली तब उनकी आस टूट गई। लगे हाथ विपक्षी सदस्यों ने तंज कसते हुए इसे ज्ञान बजट करार दिया जिसमें भले ही बौद्धिक नजरिया हो ले‍किन खासतौर से आयकर टैक्स देने वाले मध्यम वर्ग को कुछ नहीं मिल पाया।

लुभावनी घोषणाएं नहीं होने से थमी खींचतान

पांच राज्यों में होने जा रहे विधानसभा चुनावों को लेकर सियासत चरम पर होने के बावजूद बजट में लुभावनी घोषणाएं नहीं होने का असर सदन में भी नजर आया जहां पक्ष और विपक्ष के बीच राजनीतिक रस्साकशी की कोई नौबत ही नहीं आई। वित्तमंत्री की अहम घोषणाओं पर सत्ता पक्ष के मेज थपथपाने की गूंज और विपक्षी सदस्यों की एकरसता तोड़ने वाली हल्की-फुल्की टीका-टिप्पणियों के अलावा बजट पर सियासत का कोई रंग नजर नहीं आया।

डिजिटल स्वरूप को तरजीह

देश की महिला वित्तमंत्री के तौर पर निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में लगातार अपना चौथा बजट पेश किया। अर्थव्यवस्था से लेकर बुनियादी ढांचे में डिजिटल स्वरूप को तरजीह देने का संदेश देते हुए वित्तमंत्री ने टेबलेट पर बजट भाषण पढ़ा। कोरोना प्रोटोकाल के चलते वित्त मंत्री ने लोकसभा में पहली पंक्ति की बजाय दूसरी पंक्ति से बजट पढ़ा। कुछ एक सांसदों और मंत्रियों को छोड़ कर अधिकांश सदस्यों ने मास्क लगा रखा।

नहीं हुआ हंगामा

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, कांग्रेस नेता राहुल गांधी, सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी सरीखे नेताओं ने पूरे बजट भाषण के दौरान एक क्षण के लिए भी अपना मास्क नहीं हटाया। भले ही बजट को लेकर सत्तापक्ष और विपक्ष सदन के बाहर सियासी तलवारें भांजे लेकिन लोकसभा में किसी राजनीतिक मुद्दे से इसे नहीं जोड़ा गया। डेढ घंटे के बजट भाषण के दौरान एक बार भी हंगामा नहीं होना इसका प्रमाण रहा।

ऐसा दिखा नजारा

एयर इंडिया से लेकर एलआइसी के विनिवेश से जुड़ी घोषणाएं जब वित्तमंत्री ने की तब कुछ विपक्षी सदस्यों ने सब कुछ बेचे दिए जाने की टीका-टिप्पणी जरूर की। इसी तरह जब गिफ्ट सिटी में विदेशी शैक्षणिक संस्थाओं को विशेष अनुमति दिए जाने का एलान हुआ तो विपक्षी सदस्यों ने तंज कसा कि यह सब तो केवल गुजरात के लिए है। सत्तापक्ष के सदस्य हालांकि इससे उत्तेजित नहीं हुए और मेजें थपथपा कर इसका बड़ी चतुराई से जवाब दिया।

रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़े कदम

रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में आगे बढ़ने पर जोर देने के एलान पर भी सत्ता पक्ष ने अपनी थपथपाहट से सदन की एकरसता तोड़ने की कोशिश की। वित्तमंत्री ने जब टैक्स भरते रहने के लिए कर दाताओं का धन्यवाद किया तब तृणमूल के वरिष्ठ सांसद सौगत राय की उम्मीद भी टूट गई।

राजधर्म की ओर इशारा

केंद्रीय वित्तमंत्री के बजट संबोधन में ज्ञान के अलावा ठोस कुछ नहीं होने जैसे बीच में हल्के फुल्के तंज कसते रहे सौगत राय ने आखिरकार वित्तमंत्री से पूछ ही डाला कि आयकर दाताओं की छूट का क्या हुआ? दिलचस्प यह रहा कि वित्तमंत्री ने अगले ही पल अपने जवाब में टैक्स छूट नहीं देने की गुंजाइश को राजधर्म से जोड़ दिया। निर्मला सीतारमण ने महाभारत के शांतिपर्व के 72वें अध्याय के 11वें श्लोक का उल्लेख किया जिसका सार है कि राष्ट्र का राजधर्म किसी भी विधि से जनता का कुशलक्षेम और कल्याण है।

विपक्ष को सम्‍मान

केंद्र सरकार का मकसद इस बजट के माध्यम से लोगों का कल्याण करते हुए राजधर्म निभाना है। राजधर्म के इस संदेश के बाद माननीयों को यह समझते देर न लगी कि वित्तमंत्री की झोली से राहतों की कोई फुहार नहीं निकलेगी। वित्तमंत्री का संबोधन खत्म होने के बाद पीएम मोदी ने सबसे पहले उनके पास जाकर उन्हें बधाई दी और फिर विपक्षी बेंच की ओर आकर प्रधानमंत्री तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय, सुदीप बंधोपाध्याय, कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी से लेकर फारुख अब्दुल्ला सरीखे नेताओं से रूबरू हुए