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राहुल बोले- देश की हालत खराब, भाजपा व संघ विरोधी दल आएं साथ, महंगाई और रोजगार के संकट के बीच फैलाई जा रही है नफरत


नई दिल्ली, । कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की नफरत और बंटवारे की राजनीति के खिलाफ विपक्षी दलों में एकजुटता की संभावनाएं जाहिर करते हुए कहा कि इसके फ्रेमवर्क पर चर्चा चल रही है। उन्होंने कहा कि एक ओर महंगाई और रोजगार का संकट गंभीर है तो दूसरी ओर नफरत फैला कर देश को बांटा जा रहा है। इसे देखते हुए विपक्ष में जो भी नरेन्द्र मोदी और आरएसएस के खिलाफ हैं, उन सबको साथ आना चाहिए।

शरद यादव को बताया अपना गुरु

राजद के वरिष्ठ नेता शरद यादव से उनके आवास पर हुई मुलाकात के बाद पत्रकारों से बातचीत के दौरान राहुल ने विपक्षी दलों के साथ आने के सवाल पर कहा कि सबके साथ आने को लेकर चर्चा चल रही है। इस फ्रेमवर्क पर बात हो रही है कि किस तरह साथ आना चाहिए और आगे बढ़ना चाहिए। शरद यादव की सेहत का हाल जानने आए राहुल ने राजद नेता को सियासी लड़ाई के लिए अब पूरी तरह फिट करार देते हुए उन्हें अपना गुरु बताया।

शरद यादव ने राहुल को कांग्रेस अध्यक्ष बनाए जाने के बारे में पूछे जाने पर जवाबी सवाल दागते हुए कहा कि क्यों नहीं? उन्होंने कहा कि अगर कोई चौबीसों घंटे कांग्रेस को चला रहा है तो वे राहुल हैं। इसलिए कांग्रेस को उन्हें ही पार्टी अध्यक्ष बनाना चाहिए तभी कुछ बड़ा होगा।

देश को भाईचारे के राह पर लाना होगा : राहुल

राहुल गांधी ने वर्तमान हालातों की चर्चा करते हुए कहा कि चौतरफा नफरत फैलाकर देश को बांटा जा रहा है और इसका मुकाबला करने के लिए देश को भाईचारे की राह पर साथ लाना होगा। आपसी भाईचारा ही हमारे इतिहास का हिस्सा है।

चाहे महंगाई, रोजगार हो या सीमा की स्थिति हालत गंभीर

कांग्रेस नेता ने कहा कि पिछले कुछ सालों से भाजपा-आरएसएस, मीडिया संस्थान और देश के अहम संस्थान सच्चाई को छुपा रहे हैं मगर चाहे महंगाई, रोजगार हो या सीमा की स्थिति हालत गंभीर है। लेकिन लाउडस्पीकर जहां पहले सभी दलों और संस्थाओं के पास होती थी वहीं आज लाउडस्पीकर केवल भाजपा-आरएसएस के हाथों में है। मगर समय जल्द आएगा और यह सच्चाई जब युवाओं के पेट तक पहुंचेगी तो सच सामने आएगा।

आर्थिक नीतियों पर साधा निशाना

मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों पर निशाना साधते हुए पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि पीएम अपने देश की परिस्थितियों और जरूरतों के मुताबिक नीति बनाने की बजाय दूसरे देशों की नीति की ओर आकर्षित होते हैं जो हमारे लोगों की आवश्यकता के मुफीद नहीं होतीं। राहुल के अनुसार अगले तीन-चार सालों में इसके गंभीर परिणाम सामने आएंगे जैसा आज श्रीलंका में हो रहा है। अगर देश को इन चुनौतियों से निकालते हुए मजबूत करना है तो शांति और सद्भाव का माहौल बनाना सबसे बड़ी जरूरत है।