पटना

रूपौली: कटाव से बिंदटोली गांव का अस्तित्व खतरे में


रूपौली (पूर्णिया)(आससे)। रूपौली प्रखंड के दक्षिण सीमांत क्षेत्र में अवस्थित भौवा प्रबल पंचायत के वार्ड 09 और 10 बिन्द टोली गांव पर नदी का कटाव शुरू होने से गांव का अस्तित्व खतरे में हैं। कारी कोशी के किनारे बसे इस गांव की आधी से अधिक आबादी पिछले वर्ष ही पलायन कर दो तीन जगहों पर सड़क किनारे फूटपाथ की जिन्दगी जीने को मजबूर है ही। जबकि वर्तमान में जो 25-30 घर बचा है। पिछले चार पांच दिनों से रह-रह कटाव होने से गांव का अस्तित्व ही समाप्त होने के कगार पर आ पहुंचा है।

बता दें कि समाचार संकलन के दौरान उपस्थित ग्रामीणों ने बताया कि बिंदटोली गांव में 350 घरों की आबादी गुजर बसर कर रही थी। जो पिछले वर्ष कटाव की भेंट चढ़ कुछ घर भागलपुर जिला के जमुनियां रींग बांध पर तो कुछ घर टोपड़ा गांव के समीप सड़क किनारे अपना शरणस्थली बना शरणार्थियों की जिन्दगी जी रहे हैं। पिछले कुछ दिनों से शुरू हुए कटाव ने आम लोगों को सकते में डाल रखा है। कारी कोशी के कटाव का सिलसिला जारी हो जाने से अगर सरकारी तंत्र के द्वारा समय रहते कटाव निरोधक कार्य नहीं किया गया तो निश्चित तौर पर गांव का अस्तित्व नदी की कल-कल धाराओं के गर्भ में यथाशीघ्र समा जाएगा। क्योंकि बाढ़ ग्रस्त क्षेत्र के लिहाज से कोशी की रौद्र रूप बाढ़ विभीषिका की बिनाश लीला अभी बांकी ही है।

कटाव स्थल पर उपस्थित भाकपा माले एरिया कमेटी के सदस्य वासुदेव शर्मा, गांव के कपिलदेव महतो, मांगन महतो, दशरथ महतो, कैलाश महतो,  ठाकुर महतो सहित दर्जनों महिला और पुरुषों ने बताया कि बिंदटोली गांव पर बाढ़ विभीषिका का खतरा मंडराने लगा है। कोसी नदी के तेज कटाव में कब बिंदटोली गांव विलीन हो जाएगा किसी को पता नहीं। लोगों ने बताया कि कारी कोशी नदी का जलस्तर पिछले दिनों यास चक्रवातीय तूफान से हुई बारिश के बाद काफी बढ़ा है।

ग्रामीणों ने बताया कि इस गांव में बसे सभी परिवार के व्यक्ति साहू परबत्ता स्टेट, भागलपुर की जमीन पर वर्षों से घर बना कर गुजर-बसर करते आ रहे हैं। जबकि प्रत्येक वर्ष बाढ़ की विभीषिका और कोसी नदी से हो रहे कटाव को झेलने की विवशता यहां के लोगों की नियति बनकर रह गई है। अब जो भी थोड़ा सा गांव बचा हुआ है वह भी अस्तित्व हीन के कगार पर आ पहुंचा है। आज तक गांव वासियों को घर का एक अदद वासगीत पर्चा भी मयस्सर नसीब नहीं  हुआ है।

लोगों ने बताया कि हमें बसने का स्थाई निदान चाहिए। सरकारी मुलाजिमों के द्वारा बाढ़ के समय में ही हमलोगों को झूठा आश्वासन दिया जाता है कि बाढ़ कटाव निरोधक कार्य विभीषिका कम होने पर कर दिया जाएगा। किन्तु सरकार के द्वारा कोई ठोस कारगर कार्य नहीं किया गया है।