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रूस के खिलाफ एकजुट लेकिन एनर्जी क्राइसेस के मुद्दे पर बंट गई यूरोपीयन यूनियन, सर्दियों को लेकर चिंतित है ईयू


नई दिल्‍ली । रूस और यूक्रेन युद्ध की वजह से एनर्जी क्राइसेस झेल रहे यूरोपीयन यूनियन की मुश्किलें काफी बढ़ी हुई हैं। रूस से आने वाली गैस के बंद होने से सभी सदस्‍य देश परेशान हैं। इसके बावजूद इस समस्‍या से कैसे निपटा जाए, इसको लेकर ईयू सदस्‍य देश बंटे हुए हैं। इस वजह से ईयू इस समस्‍या से उबरने के लिए किसी भी एक नतीजे पर नहीं पहुंच सका है। दरअसल, इस मुद्दे पर पैराग्‍वे में जारी ईयू सम्‍मेलन में इस पर लगातार चर्चा हो रही है। इस सम्‍मेलन में 44 यूरोपीयन लीडर्स शामिल हुए हैं। इनमें यूरोपीयन यूनियन के 27 लीडर्स भी शामिल हैं।

एनर्जी क्राइसेस पर रूस दोषी

इस सम्‍मेलन में एक तरफ जहां सभी देशों ने एनर्जी क्राइसेस के लिए रूस को एक स्‍वर में दोषी ठहराया है वहीं इससे कैसे निपटा जाए इसको लेकर कोई एक राय नहीं बन रही है। इस सम्‍मेलन में बाल्टिक सागर के नीचे बिछी नार्ड स्‍ट्रीम 1 गैस पाइप लाइन से गैस रिसाव होने पर भी चिंता जताई गई है। इसके लिए भी ईयू ने रूस के हमलों को जिम्‍मेदार ठहराया है। सम्‍मेलन में कहा गया है कि रूस के हमलों की वजह से ही इस गैस पाइपलाइन में दिक्‍कत आई है और गैस लीक हो रही है। इस सम्‍मेलन में गैस के बढ़ते दामों को कम करने के लिए और इससे उभरी दूसरी समस्‍याओं से निजात पाने के लिए भी गहन चर्चा चल रही है।

 

गैस के दामों में उछाल

आपको बता दें कि यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद से ही यूरोप को ऊर्जा संकट से जूझना पड़ रहा है। इसके साथ ही अंतरराष्‍ट्रीय बाजार में गैस की कीमतें आसमान छू रहे हैं। फ्रांस की मीडिया में कहा गया है कि ईयू के एक्‍जीक्‍यूटिव हैड Ursula von der Leyen ने सदस्‍यों को ऊर्जा संकट से निपटने के लिए कुछ उपाय सुझाए हैं। लेकिन, इन पर सदस्‍य देशों की अलग-अलग राय है। ऊर्जा संकट समेत दूसरे मसलों पर इस माह के अंत में ब्रसेल्‍स में एक और सम्‍मेलन होना है। Leyen ने सदस्‍य देशों से अपील की है कि सभी के एक बिंदू पर सहमत होना होगा, तभी इस समस्‍या का समाधान किया जा सकेगा।

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सर्दियां की है बड़ी समस्‍या

यूरोप की सबसे बड़ी चिंता सर्दियों को लेकर भी है। बिना गैस के सर्दियां कैसे कटेंगी, इसको लेकर यूरोप चिंता में डूबा है। कुछ छोटे देशों ने रूस की गैस के विकल्‍प के तौर पर कुछ उपाय जरूर किए हैं लेकिन अब भी वो अपनी ऊर्जा की जरूरतों को पूरा करने में नाकाम है। पैराग्‍वे में जारी इस सम्‍मेलन में शामिल होने के लिए रूस को नहीं बुलाया गया है।