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लाल चंदन की तस्करी के मामले में आरोपित की जमानत याचिका दिल्ली हाई कोर्ट ने की खारिज


नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। लाल चंदन की तस्करी के मामले में अहम टिप्पणी करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने आरोपित मुख्तार अहमद को अग्रिम जमानत देने से इन्कार कर दिया। न्यायमूर्ति आशा मेनन की पीठ ने कहा कि इस बात में कोई दम नहीं है कि भारतीय वन अधिनियम की धारा दो, 33 और 42 के तहत यह अपराध मामूली सजा के साथ दंडनीय है। लाल चंदन की तस्करी को पर्यावरण क्षरण और अमूल्य पेड़ों को नष्ट करने के बड़े संदर्भ में देखा जाना चाहिए। पेड़ों की असमय कटाई का दीर्घकालिक प्रभाव पड़ता है और इसमें ग्लोबल वार्मिग, जलवायु परिवर्तन व भोजन की कमी शामिल हैं।

 

पीठ ने कहा कि भले ही भारतीय वन अधिनियम पेड़ों को काटने की अनुमति देता है, लेकिन इसके लिए एक परमिट की आवश्यकता होती है। कुछ लोगों का लालच उन्हें अनुमति से अधिक पेड़ काटने के लिए प्रेरित करता है। किंतु वनों को वर्तमान पीढ़ी द्वारा भावी पीढ़ियों के लिए रखा जाना है। पीठ ने कहा कि वर्तमान मामले में जांच अधिकारी को लाल चंदन की तस्करी से जुड़े सभी लोगों के संपर्को का पता लगाना है। याचिकाकर्ता व आरोपित मुख्तार अहमद पूरी गतिविधि को सरगना के तौर पर संचालित करता था और वह दिल्ली से विशाखापत्तनम भेजे गए व्यक्तियों के यात्रा व्यय को वहन करता था। ऐसे में आरोपित की अग्रिम जमानत याचिका खारिज की जाती है।