News TOP STORIES नयी दिल्ली पटना बिहार राष्ट्रीय

लोकसभा चुनाव: महागठबंधन में बूथों की तैयारी, सीटों का पता नहीं, 2019 के शत्रु क्या 2024 में निभाएंगे दोस्ती?


पटना, । लोकसभा चुनाव की तैयारी शुरू हो गई है। सभी दल अपनी आधार इकाइयों को ठीक करने में जुट गए हैं। लेकिन महागठबंधन के दलों के बीच यह निश्चय होना बाकी है कि कौन सा दल कितनी और किन-किन सीटों पर चुनाव लड़ेगा। वैसे, सामान्य स्थिति में यह काम ठीक चुनाव के समय ही होता है। इस बार स्थिति कुछ असामान्य है। 2019 में शत्रु की तरह मैदान में खड़े दल 2024 में मित्र की भूमिका में रहेंगे।

मित्रता बनी रहे, इसलिए, सीटों की समस्या का निदान चुनावी तैयारी का अनिवार्य अंग माना जा रहा है। पिछले चुनाव में महागठबंधन के पास आपसी बंटवारे के लिए लोकसभा की सभी 40 सीटें थीं। जदयू के महागठबंधन में दावेदार बढ़ गए। सीटें कम हो गईं। 2019 में भाजपा की साझेदारी में जदयू की 16 सीटों पर जीत हुई थी। सीटों के बंटवारे में सिटिंग (जीती हुई) और सेकेंड (दूसरे नंबर) का सूत्र चलता है। जीती हुई सीट को वरीयता दी जाती है।

जदयू का 16 सीटों पर दावा बनेगा

इस सूत्र से जदयू का 16 सीटों पर दावा बनता है। 2019 के चुनाव में जदयू की जीती सीटों में से आठ पर राजद, पांच पर कांग्रेस, दो पर हिन्दुस्तानी अवामी मोर्चा और एक पर रालोसपा के उम्मीदवार दूसरे नम्बर पर रहे। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तारिक अनवर भी कटिहार में जदयू के मुकाबले में दूसरे नम्बर पर रहे।

अगर जदयू महागठबंधन में शामिल नहीं होता तो इनमें से 13 सीटों पर राजद और कांग्रेस की दावेदारी बनती। हिन्दुस्तानी अवामी मोर्चा 2020 के विधानसभा चुनाव में महागठबंधन से अलग हो गया था। रालोसपा का विलय जदयू में हो गया।उसके नेता उपेंद्र कुशवाहा पार्टी संसदीय दल के अध्यक्ष हैं।

बचे 24 के छह हिस्सेदार

जदयू को अगर जीती हुई सभी सीटें दे दी जाती हैं, उस स्थिति में बची 24 सीटों के छह दावेदार बचेंगे। तीन में से दो वाम दल-भाकपा और भाकपा माले के उम्मीदवार पिछली बार दो सीटों पर मुकाबले में थे। माना जा रहा है कि वाम दलों के लिए आरा और बेगूसराय की सीट आरक्षित है। हिन्दुस्तानी अवामी मोर्चा तीन सीटों पर लड़ा था।

गया और नालंदा में उसके उम्मीदवार दूसरे नम्बर पर रहे। जीत जदयू की हुई। मोर्चा के संस्थापक जीतनराम मांझी खुद गया से उम्मीदवार थे। उन्हें सीट छोड़ने के लिए सहमत करना सहज नहीं है।उनके चार विधायक राज्य सरकार का समर्थन कर रहे हैं। वह एक या दो सीट ले गए तो राजद और कांग्रेस के लिए मुश्किल से 20-21 सीटें बचेंगी।

बंटवारे को लेकर चर्चा नहीं

महागठबंधन के सबसे बड़े दल राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद ने कहा कि अभी हम तैयारी कर रहे हैं। बूथ स्तर पर कमेटी बन रही है। हमारी तैयारी मजबूत होगी तो उसका लाभ महागठबंधन परिवार के सभी सदस्यों को मिलेगा। कौन कहां से चुनाव लड़ेगा, इस पर बात करने के लिए हमारे पास बहुत समय है।

2019 में ऐसे बंटी थीं सीटें

राजद को 20 सीटें मिली थीं। उसने एक सीट भाकपा माले को दी। कांग्रेस को नौ, रालोसपा को पांच, हिन्दुस्तानी अवामी मोर्चा और विकासशील इंसान पार्टी को तीन-तीन सीटें दी गई थीं। 40 में से सिर्फ एक किशनगंज में कांग्रेस की जीत हुई थी। जदयू वहां दूसरे नम्बर पर था।