Latest News नयी दिल्ली

लोगों को डराना और गलतियां छुपाने के लिए आरोप लगाना केजरीवाल सरकार की फितरत: दिल्ली भाजपा अध्यक्ष


कोरोना की दूसरी लहर के दौरान जिस तरह दिल्ली में बदहाली का आलम रहा और अब वैक्सीन की किल्लत शुरू हो गई है, उसे लेकर केंद्र सरकार और दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार में आरोप-प्रत्यारोपों का दौर शुरू हो गया है। भारतीय जनता पार्टी की दिल्ली इकाई ने केजरीवाल सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। इन सब मुद्दों पर आउटलुक के प्रशांत श्रीवास्तव ने प्रदेश भाजपा अध्यक्ष आदेश कुमार गुप्ता से बात की। प्रमुख अंश:-

सवाल – दिल्ली में कोविड-19 संक्रमण अब घट रहा है, क्या केजरीवाल सरकार कोरोना पर काबू पाने में सफल रही है?

जवाब- संक्रमण कम होना बड़ी राहत की बात है, लेकिन हमें असावधान बिल्कुल नहीं होना चाहिए। दिल्ली सरकार से कहना चाहता हूं कि हमें तीसरी लहर की तैयारी में पूरी तरह लग जाना चाहिए और दूसरी लहर जैसी गलतियां नहीं करनी चाहिए। राज्य सरकार की लापरवाही के चलते लोगों को बहुत परेशानी उठानी पड़ी। प्रशासनिक स्तर से लेकर प्रबंधन तक भारी लापरवाही दिखी। ऑक्सीजन को लेकर दिल्ली में क्या हालात रहे, सबने देखा है। अस्पतालों ने मरीजों से मनमाने पैसे लिए, लोगों की टेस्टिंग नहीं हो पाई, दवाओं की किल्लत हुई। इसका खमियाजा आम लोगों को उठाना पड़ा। दिल्ली में स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह दिल्ली सरकार का मामला है। इसमें किसी और का कोई दखल नहीं है। लेकिन सरकार समय रहते तैयारी नहीं कर पाई।

सवाल- आप कह रहे हैं कि दिल्ली सरकार तैयारी नहीं कर पाई, लेकिन उनका कहना है कि पहले ऑक्सीजन के लिए सरकार ने सहयोग नहीं किया और अब वैक्सीन के लिए भी वैसा ही रवैया है?

जवाब- असल में आम आदमी पार्टी (आप) केवल आरोप लगाने वाली राजनीति करती है। देश में प्रति व्यक्ति आधार पर सबसे ज्यादा ऑक्सीजन दिल्ली को ही मिली है। यहां पर प्रति 10 हजार व्यक्ति पर 61 मिट्रिक टन ऑक्सीजन आवंटित की गई। जबकि दूसरे राज्यों में यह केवल 4, 18 या 20 मिट्रिक टन था। समस्या उपलब्धता की नहीं, बल्कि प्रबंधन की थी जिसमें दिल्ली सरकार पूरी तरह फेल हो गई। इनके नोडल अफसर सही से काम नहीं कर पाए। शुरुआत में तो अस्पतालों को ऑक्सीजन पहुंचाने के लिए टैंकर तक नहीं दे पाए। अव्यवस्था को आईनॉक्स कंपनी के उदाहरण से समझा जा सकता है। कंपनी 45 अस्पतालों में 105 मिट्रिक टन ऑक्सीजन दे रही थी। दिल्ली सरकार ने 24 अप्रैल को ऑर्डर निकाला कि कंपनी केवल 17 अस्पतालों में ऑक्सीजन देगी। बाकी 28 अस्पताल का प्रबंधन दिल्ली सरकार करेगी। नतीजा क्या हुआ, उन 28 अस्पतालों में कई लोग ऑक्सीजन के बिना मर गए। यह तो पूरी तरह से आपराधिक लापरवाही का मामला है। इसी तरह, केंद्र सरकार ने दिल्ली में 8 ऑक्सीजन प्लांट की मंजूरी दी थी लेकिन दिल्ली सरकार केवल एक लगा पाई। केंद्र सरकार मार्च से ही ऑक्सीजन का उचित इंतजाम करने के लिए पत्र लिख रही थी, फिर भी तैयारी नहीं कर पाए।