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वकीलों की हड़ताल कम करने के लिए नियम तय करने के मकसद से बैठक बुलाई गई है: बार काउंसिल


  • भारतीय विधिज्ञ परिषद (बीसीआई) ने शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय को सूचित किया कि उसने राज्य विधिज्ञ परिषदों की बैठक बुलाई है और वकीलों की हड़ताल कम करने के लिए नियम बनाने और हड़ताल के लिए सोशल मीडिया के माध्यम से दूसरों को भड़काने वाले वकीलों के खिलाफ कार्रवाई करने का प्रस्ताव रखा है। बीसीआई के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ अधिवक्ता मनन कुमार मिश्रा ने न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ को बताया कि उन्होंने चार सितंबर को सभी राज्य विधिज्ञ परिषदों की बैठक बुलाई है। मिश्रा ने कहा, ”हम चार सितंबर को सभी राज्य विधिज्ञ परिषदों एवं संघों की बैठक करेंगे तथा इसमे हम वकीलों की हड़ताल कम करने के लिए नियम बनाने और हड़ताल के लिए अन्य लोगों को सोशल मीडिया के जरिए भड़काने वाले वकीलों के खिलाफ कार्रवाई करने का प्रस्ताव रखेंगे।” पीठ ने मिश्रा का अभ्यावेदन दर्ज किया और कहा कि वह बीसीआई के इस कदम की सराहना करती है। शीर्ष अदालत ने मिश्रा के अनुरोध पर मामले की आगे की सुनवाई सितंबर के तीसरे सप्ताह के लिए स्थगित कर दी। सुनवाई की शुरुआत में मिश्रा ने न्यायालय के पिछले साल के आदेश के अनुपालन में कोरोना वायरस वैश्विक महामारी फैलने के कारण देरी होने और पहले सुझाव नहीं देने के लिए माफी मांगी। शीर्ष अदालत ने 26 जुलाई को कहा था कि उसने पिछले साल 28 फरवरी को अपना फैसला सुनाया था और बीसीआई एवं राज्य विधिज्ञ परिषदों को वकीलों के काम से अनुपस्थित रहने और हड़ताल करने की समस्या से निपटने के लिए ठोस सुझाव देने का निर्देश दिया था।शीर्ष अदालत ने पिछले साल 28 फरवरी को उत्तराखंड जिला अदालतों में वकीलों द्वारा ‘पाकिस्तान में बम विस्फोट’, और ‘नेपाल में भूकंप’ जैसे कारणों से 35 साल तक हर शनिवार को हड़ताल करने पर नाराजगी जताई थी और ऐसा जारी रखने वाले वकीलों के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई से संबंधित कार्रवाई करने की चेतावनी दी थी। न्यायालय ने इस हड़ताल को अवैध बताते हुए वकीलों द्वारा हड़ताल करने/काम पर नहीं आने की समस्या से निपटने के लिए आगे की कार्रवाई संबंधी सुझावों के लिए बीसीआई और सभी राज्य विधिज्ञ परिषदों से छह सप्ताह के भीतर जवाब मांगा था।