जम्मूमें भारतीय वायुसेना स्टेशन परिसरके तकनीकी क्षेत्रमें रविवारको भोरमें कम तीव्रताके दो धमाकोंसे यद्यपि कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ लेकिन यह गम्भीर चिन्ताका विषय होनेके साथ ही वहांकी सुरक्षा व्यवस्थापर भी बड़ा प्रश्न है। इन धमाकोंसे स्टेशन भवनको मामूली क्षति पहुंची है। दूसरा विस्फोट खुले क्षेत्रमें हुआ, जहां किसी भी उपकरणको नुकसान नहीं पहुंचा। किसी कर्मचारीको भी चोट नहीं आयी। जम्मू हवाई अड्डïेका रनवे और वायु यातायात नियंत्रण भारतीय वायुसेनाके अधीन है और इसका उपयोग यात्री विमानोंको संचालित करनेके लिए भी किया जाता है। विस्फोट दोहरे उपयोगवाले हवाई अड्डïेके एक हिस्सेमें हुआ है। इस विस्फोटमें ड्रोनके इस्तेमालकी आशंका जतायी गयी है, क्योंकि प्रारम्भिक जांचमें पता चला है कि कोई बाहरसे अन्दर दाखिल नहीं हुआ। भारतीय वायुसेनाका यह स्टेशन काफी महत्वपूर्ण है। इसकी गहन जांच शुरू कर दी गयी है। एनआईएकी टीम सभी पहलुओंको ध्यानमें रखते हुए जांच कर रही है। घटनाके बाद जम्मू और कश्मीर सीमापर रेड अलर्ट करनेके साथ ही सभी चेक प्वाइंट्सपर गश्त बढ़ा दी गयी है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंहने वाइस एयर चीफ एयर मार्शल एच.एस. अरोड़ासे बात की है। घटनास्थल भारत और पाकिस्तानके बीच अन्तरराष्टï्रीय सीमासे मात्र १४ किलोमीटर दूर है। यह भारतीय वायुसेनाकी रणनीतिक सम्पत्तियोंमेंसे एक है, क्योंकि यहींसे विभिन्न इलाकोंसे सम्बन्ध और आपूर्ति संचालित की जाती है। यह भारतीय वायुसेनाके सबसे पुराने हवाई अड्डïोंमेंसे एक है। इस घटनाको ऐसे समय अंजाम दिया गया है जब जम्मू-कश्मीरमें परिसीमनकी प्रक्रिया तेजीसे चल रही है और प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदीने २४ जूनको दिल्लीमें सर्वदलीय बैठक की थी जो काफी सफल और सार्थक रही। जम्मू-कश्मीरमें विधानसभा चुनावोंको यथाशीघ्र करानेकी तैयारी की जा रही है। अनुच्छेद ३७० समाप्त किये जानेके बाद केन्द्र सरकारने वहां बड़ा कदम उठाया है। इससे पाकिस्तानकी बेचैनी बढ़ गयी है। ऐसी स्थितिमें इस घटनाके पीछे पाकिस्तानकी संदिग्ध भूमिकासे भी इनकार नहीं किया जा सकता। पूरे प्रकरणकी गहराईसे जांचके बाद ही स्थिति स्पष्टï हो सकेगी। केन्द्र सरकार और भारतीय सेनाको पूरी सतर्कता बरतनेकी जरूरत है। हवाई अड्डïेपर सुरक्षा व्यवस्थामें चूक कैसे हुई और इसके लिए कौन जिम्मेदार है, यह भी स्पष्टï होना जरूरी है।
निशानेपर पाकिस्तान
आतंकवादी गतिविधियोंको समर्थन और आतंकियोंके विरुद्ध ठोस काररवाई नहीं करनेके चलते पाकिस्तान अब संयुक्त राष्ट्रके निशानेपर आ गया है। आतंकवादको लेकर भारतका दबाव पाकिस्तानपर भारी पड़ रहा है। भारतकी ओरसे दिये गये ठोस सबूतोंके चलते अब उसपर पहलेकी अपेक्षा ज्यादा दबाव बढ़ गया है जिससे उसकी बेचैनी बढऩा स्वाभाविक है। भारतने संयुक्त राष्ट्रमें पाकिस्तानका नाम लिये बिना परोक्ष रूपसे कहा कि कुछ ऐसे देश हैं जो आतंकी गतिविधियोंका समर्थन करने और उन्हें पनाह देनेके लिए साफ तौरपर दोषी हैं। भारत कई दशकोंसे सीमापारसे होनेवाले आतंकवादका दंश झेल रहा है। आतंकवादके वित्तपोषण और खतरेसे सफलतापूर्वक निबटनेके लिए आतंकियोंतक आर्थिक संसाधनोंकी पहुंच रोकना जरूरी है। दुनियाभरमें मनीलाण्ड्रिंग और आतंकी वित्तपोषणपर नजर रखनेवाले फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) ने पाकिस्तानको इस बार भी कोई राहत नहीं दी। वह अब भी ग्रे-सूचीमें बना रहेगा। एफएटीएफका फैसला पाकिस्तानके लिए बड़ा झटका है। पाकिस्तानको अपने विरुद्ध बन रही परिस्थितियोंको समझना होगा। शुतुर्मुगकी तरह रेतमें मुंह छिपा लेनेसे सुरक्षित बच निकलनेके भ्रमसे बाहर आना होगा। आतंकियोंके विरुद्ध दिखावेकी काररवाई करके वह खुदको पाक-साफ घोषित नहीं कर सकता, क्योंकि अब उसपर पहलेसे ज्यादा सख्त तरीकेसे निगरानी हो रही है। पाकिस्तानकी दुनियामें साख खत्म हो गयी है। वह चीनके हाथकी कठपुतली बना हुआ है जो उसके हितमें नहीं है। चीन एक ऐसा स्वार्थी देश है जिसकी रग-रगमें जहर भरा हुआ है। वह कभी किसी भी देशका हितैषी नहीं हो सकेगा। वह धीरे-धीरे पाकिस्तानके सामरिक महत्वके क्षेत्रोंपर कब्जा करता जा रहा है, जिसके दूरगामी परिणाम होंगे। आतंकवादके समर्थनके चलते ही उसकी आर्थिक स्थिति खस्ताहाल होती जा रही है, यदि अब भी वह नहीं सुधरता तो आनेवाले दिन पाकिस्तानके लिए बहुत कठिन साबित होंगे।