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वार्ता विफल,अब आन्दोलन होगा और तेज


अन्नदाताओंने फाड़ा सरकारी प्रस्ताव,महिलाओंने संभाली खेती-किसानी
नयी दिल्ली (आससे)। तीन कानूनों के विरोध में चल रहे किसान आंदोलन के नेताओं और केंद्र सरकार के प्रतिनिधियों के बीच आज हुई सातवें दौर की वार्ता बेनतीजा खत्म हो गई है। आजकी बातचीतमें किसी भी मुद्देपर सहमति नहीं बन सकी। अगली बैठक आठ जनवरी को होगी। किसानोंने सरकारका दिया संशोधन फाड़ दिया और कहा कि अब आन्दोलन और तेज होगा। इसबीच किसानोंकी पत्नियों , बच्चोंने खेती- किसानी संभाल ली है और कहा है कि आप जीतकर ही घर वापस लौटें। बैठक के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि किसानों के कानून को वापस लेने की जिद पर अड़े रहने के कारण कोई नतीजा नहीं निकल सका। उन्होंने कहा कि हम लोग चाहते थे कि किसान नेता तीनों कृषि कानूनों के एक-एक क्लॉज पर बात करें। हमलोग किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सके, क्योंकि किसान नेता कानून को वापस लिए जाने की अपनी मांग पर अड़े हुए थे। गौरतलब है कि इन कृषि कानूनों के मुद्दे पर पिछले एक महीने से केंद्र सरकार और प्रदर्शनकारी किसानों के बीच गतिरोध बना हुआ है। पिछली बैठक में दो मुद्दों पर सहमति बनने के बाद आज की बैठक से बहुत उम्मीद थी कि कोई सहमति बं जायेगी और किसान आंदोलन समाप्त होगा। लेकिन ऐसा हो नहीं पाया। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, रेलवे, वाणिज्य और खाद्य मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य राज्य मंत्री सोम प्रकाश ने दिल्ली के विज्ञान भवन में 40 किसान संगठनों के प्रतिनिधियों से बातचीत की। सोम प्रकाश पंजाब राज्य से ही सांसद भी हैं। बातचीत के दौरान किसान नेता बलबीर सिंह रजेवाल और मंत्रियों के बीच खूब बहस हुई। मंत्री बिल के हर क्लॉज पर बातचीत करना चाहते थे, लेकिन किसानों का कहना है कि सरकार को पूरा बिल ही रद्द करना होगा। आज किसान नेताओं और केंद्र सरकार के प्रतिनिधियों के बीच ये बैठक आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों को श्रद्धांजलि देने के साथ शुरू हुई। बता दें कि इससे पहले 30 दिसंबर को किसान नेताओं और केंद्र सरकार के बीच छठे दौर की वार्ता हुई थी। इसमें बिजली सब्सिडी को जारी रखने और पराली जलाने को आपराधिक गतिविधि न माने जाने पर सहमति बनी थी। हालांकि अभी तक किसानों की दो प्रमुख मांगों पर कोई समझौता नहीं हो सका है। पहली यह कि किसान उन तीन कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की मांग पर अड़े हैं और दूसरा यह कि वे न्यूनतम समर्थन मूल्य की खरीद व्यवस्था जारी रखने की कानूनी गारंटी की मांग कर रहे हैं। गौरतलब है कि सातवें दौर की इस बातचीत से एक दिन पहले कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की रविवार शाम को मुलाकात हुई थी। माना जा रहा है कि दोनों नेताओं की इस मुलाकात के दौरान मौजूदा जारी संकट को सुलझाने की सरकारी रणनीति पर चर्चा हुई ताकि कोई बीच का रास्ता निकाला जा सके। मालूम हो कि पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हजारों किसान दिल्ली बॉर्डर पर पिछले एक महीने से भी ज्यादा वक़्त से इन तीन कृषि क़ानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। भारी बारिश, जलजमाव और भीषण सर्दी के बावजूद ये किसान दिल्ली के बॉर्डर पर डटे हुए हैं। सितंबर, 2020 से लागू किए गए तीनों कृषि कानूनों को केंद्र सरकार प्रमुख कृषि सुधार और किसानों की आमदनी बढ़ाने की दिशा में उठाया गया कदम बता रही है। लेकिन इन कानूनों का विरोध कर रहे किसानों का कहना है कि इसे न्यूनतम समर्थन मूल्य और मंडी की व्यवस्था कमजोर होगी और उन्हें बड़े कारोबारी प्रतिष्ठानों की दया पर छोड़ दिया जाएगा। हालांकि सरकार का ये कहना है कि किसानों की ये आशंकाएं गलतफहमी की वजह से हैं और ये कानून वापस नहीं लिए जाएंगे।