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बंगाल में लगातार हो रहे जघन्य अपराधों को लेकर घिरीं ममता सरकार पर उठते सवाल


कोलकाता, । पिछले कुछ महीनों में जिस तरह से हत्या, दुष्कर्म, नरसंहार और भ्रष्टाचार के मामले सामने आए हैं, उसे लेकर बंगाल में कानून एवं व्यवस्था की स्थिति पर बड़े सवाल खड़े हो गए हैं। ऐसा लग रहा है कि पुलिस व प्रशासन पर आम लोग ही नहीं, बल्कि हाई कोर्ट और राज्यपाल तक को भरोसा नहीं है। इसका सबसे बड़ा प्रमाण पिछले एक माह में कलकत्ता हाई कोर्ट द्वारा सात मामलों में दिए गए सीबीआइ जांच का आदेश है। बीते गुरुवार को राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने बंगाल को लोकतंत्र का गैस चैंबर बता दिया। उन्होंने कहा, ‘राज्य में पूरी तरह से भ्रष्टाचार व्याप्त है। हम ऐसा राज्य नहीं चाहते, जो केवल हिंसा का परिचायक हो, जहां महिलाओं के खिलाफ अपराध हों, जहां नौकरशाही की राजनीति और संविधान की अवहेलना होती हो।’

बालीगंज विधानसभा और आसनसोल लोकसभा सीटों के उपचुनावों में तृणमूल ने भले ही जीत दर्ज कर ली है, परंतु हाई कोर्ट के आदेश और राज्यपाल के बयान प्रदेश में कानून एवं व्यवस्था की दुर्दशा बताने को काफी हैं। पिछले महीने एक ही दिन अलग-अलग जिलों में दो नवनिर्वाचित पार्षदों की हत्या के मामले शांत नहीं हुए थे कि बीरभूम जिले के बोगटूई गांव में तृणमूल नेता भादू शेख की हत्या के बाद मुस्लिमों ने अपने ही दल व संप्रदाय के 11 लोगों को जिंदा जला दिया, जिनमें से नौ लोगों की मौत हो गई और दो जख्मी हो गए। इस मामले में तृणमूल के ही कार्यकर्ता और नेता की गिरफ्तारी हुई है। इसके बाद नदिया जिले के हांसखाली में 15 वर्ष की एक किशोरी से सामूहिक दुष्कर्म किया गया, जिससे उसकी मौत हो गई। इस मामले में मुख्य आरोपित तृणमूल के ही एक नेता का बेटा है। इस दुष्कर्म कांड की जांच भी हाई कोर्ट के निर्देश पर सीबीआइ कर रही है।