Post Views: 993 ऋतुपर्ण दवे क्या किसान मजबूर है और खेती मजबूरी। यह प्रश्न बहुत ही अहम हो गया है। अब लग रहा है कि किसानोंकी स्थिति ‘उगलत लीलत पीर घनेरीÓ जैसे हो गयी है। बदले हुए परिवेश यानी सामाजिक एवं राजनीतिक दोनोंमें किसानोंकी हैसियत और रुतबा घटा है। किसान अन्नदाता जरूर है लेकिन उसकी […]
Post Views: 790 देशके लिए यह राहतकी बात है कि पिछले कई दिनोंसे कोरोनाके नये मामलोंकी संख्या तीन लाखके आस-पास है और ठीक होनेवाले मरीजोंकी संख्या नये संक्रमितोंसे अधिक है। स्वास्थ्य मंत्रालयकी ओरसे शनिवारको जारी ताजे आंकड़ोंके अनुसार पिछले २४ घण्टोंमें तीन लाख २६ हजार ९८ नये मामले सामने आये जबकि इसी अवधिमें तीन लाख […]
Post Views: 715 नवीनचन्द्र उत्तर प्रदेशमें अगले सालकी शुरुआतमें यानी कुछ ही महीनों बाद विधानसभा चुनाव होनेवाले हैं। दलितों एवं अति पिछड़ोंकी राजनीतिक गोलबंदीसे राज्यकी बड़ी ताकत बनीं और चार बार सत्तामें आ चुकी मायावती फिर ब्राह्मïणोंको खुश करनेकी कोशिशमें जुट गयी हैं। उधर सवर्णोंकी पार्टीके रूपमें जानी जानेवाली भाजपा दलितों एवं पिछड़ोंके लिए लाल […]