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शांतनु मुलुक और निकिता जैकब की अग्रिम जमानत की याचिका पर दोपहर तक टली


टूलकिट मामले में पटियाला हाउस कोर्ट दोपहर 2 बजे शांतनु मुलुक और निकिता जैकब की अग्रिम जमानत की याचिका पर सुनवाई कर सकता है. आरोपी शांतनु की वकील वृंदा ग्रोवर ने कोर्ट से कहा कि उन्हें अभी तक दिल्ली पुलिस की स्टेट रिपोर्ट की कॉपी नहीं मिली है. पब्लिक प्रोसिक्यूटर इरफान अहमद ने कोर्ट को बताया कि कुछ देर में स्टेटस रिपोर्ट की कॉपी सौंप दी जाएगी.

निकिता की वकील रैबेका जॉन ने कोर्ट से कहा कि उन्हें सुनवाई से पहले एडवांस में कॉपी मिलनी चाहिए थी, ताकि उसी हिसाब से तैयारी की जा सकती. उन्हें अंदाजा भी नहीं है कि स्टेटस रिपोर्ट 2 पेज की है या 40 पेज की. जज धर्मेन्द्र राणा ने दोनों वकीलों की बात को सुनकर मामले की सुनवाई आज दोपहर 2 बजे तक के लिए टाल दी, कोर्ट लंच ब्रेक के बाद मामले की सुनवाई करेगा.

पिछली सुनवाई में दिल्ली पुलिस ने कोर्ट से शांतनु मुलुक की अग्रिम जमानत याचिका पर डिटेल्ड जवाब दाखिल करने के लिए और समय मांगा था, जिसके बाद कोर्ट ने सुनवाई 9 मार्च यानि आज तक के लिए टाल दी थी. मुलुक ने अपनी जमानत याचिका में कहा था कि उसने सिर्फ टूलकिट बनाया था और एडिट किसी और ने किया था. इसमें क्या था इसकी जानकारी उसे नहीं थी.

इससे पहले दिल्ली में सत्र अदालत ने 25 फरवरी को एक अन्य सह आरोपी शांतनु मुलुक को 9 मार्च तक के लिए गिरफ्तारी से संरक्षण दिया था. अदालत मुलुक की अग्रिम जमानत अर्जी पर सुनवाई करेगी. शांतनु मुलुक और निकिता जैकब इस मामले की जांच में दिल्ली पुलिस की साइबर सेल के सामने पूछताछ में शामिल हो चुके हैं.

दिशा रवि को मिल चुकी है जमानत

23 फरवरी को बेंगलुरु की रहने वाली एक्टिविस्ट दिशा रवि को कोर्ट ने यह कहकर जमानत दे दी थी कि पुलिस द्वारा पेश किए गए साक्ष्य ‘अधूरे’ हैं. अदालत ने कहा था कि पेश किए गए सबूत 22 वर्षीय युवती को हिरासत में रखने के लिए पर्याप्त नहीं है, जिसकी कोई आपराधिक पृष्ठभूमि नहीं है. एडिशनल सेशन जज धर्मेंद्र राणा ने कहा था कि किसी भी लोकतांत्रिक देश में नागरिक सरकार की अंतरात्मा के संरक्षक होते हैं. उन्हें केवल इसलिए जेल नहीं भेजा जा सकता, क्योंकि वे सरकार की नीतियों से असहमत हैं.

क्या है टूलकिट का मामला

‘टूलकिट’ में ट्विटर पर किसी अभियान को ट्रेंड कराने से संबंधित दिशानिर्देश और सामग्री होती है. दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने ”भारत सरकार के खिलाफ सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक युद्ध” छेड़ने का आरोप लगाकर 4 फरवरी को इस मामले में FIR दर्ज की थी. पुलिस ने बताया था कि दस्तावेज ‘टूलकिट’ का लक्ष्य भारत सरकार के प्रति वैमनस्य और गलत भावना फैलाना और सामाजिक, धार्मिक और सांस्कृतिक समूहों के बीच वैमनस्य की स्थिति पैदा करना है.