आपको बता दें कि बेंचमार्क इंडेक्स सेंसेक्स ने चार महीने से अधिक समय के बाद बीते बुधवार को मनोवैज्ञानिक रूप से 60,000 अंक को छूआ था। महंगाई में नरमी आने से भारतीय पूंजी बाजारों में विदेशी निवेशकों का निवेश बढ़ा है, जिससे बाजार में तेजी दर्ज की जा रही थी।
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वीके विजयकुमार ने कहा कि महंगाई में गिरावट ने अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिए नरम लैंडिंग की संभावना बढ़ा दी है। भारत में महंगाई में गिरावट, कच्चे तेल में गिरावट, मजबूत विकास गति, अच्छा मानसून और सबसे ऊपर लगातार खरीदार बनने वाले एफआईआई ने बाजार का हाल बदल दिया है।
बता दें जुलाई की शुरुआत तक, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPI) विभिन्न कारणों से पिछले नौ से दस महीनों से भारतीय बाजारों में लगातार इक्विटी बेच रहे थे, जिसमें उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में मौद्रिक नीति का कड़ा होना, डॉलर की बढ़ती मांग और उच्च रिटर्न शामिल हैं। अमेरिकी बांड-एनएसडीएल के आंकड़ों से पता चलता है कि उन्होंने 2022 में अब तक 175,653 करोड़ रुपये की इक्विटी निकाली है।
हालांकि, जुलाई में वे 4,989 करोड़ रुपये की इक्विटी की कुल खरीद के साथ शुद्ध खरीदार थे। आंकड़ों से पता चलता है कि अगस्त में अब तक उन्होंने 36,716 करोड़ रुपये की इक्विटी खरीदी है।
रुपये में आई गिरावट
विदेशी बाजार में अमेरिकी मुद्रा की मजबूती और घरेलू शेयर बाजारों में नरमी के चलते गुरुवार को शुरुआती कारोबार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 23 पैसे की गिरावट के साथ 79.60 पर खुला। फिर पिछले बंद के मुकाबले 23 पैसे की गिरावट दर्ज करते हुए 79.68 पर आ गया, जबकि बुधवार को रुपया 29 पैसे की तेजी के साथ डॉलर के मुकाबले 79.45 पर बंद हुआ था।