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संयुक्त किसान मोर्चा ने सरकार से एमएसपी समिति के लिए नाम भेजने के बजाय पूछे सवाल


नई दिल्ली। फसलों का एमएसपी निर्धारण और उसके तौर तरीकों में तार्किक बदलाव को लेकर प्रस्तावित समिति के गठन से पहले ही संयुक्त किसान मोर्चा ने संदेह जताना शुरू कर दिया है। सरकार ने किसान मोर्चा से प्रस्तावित समिति में अपने दो से तीन सदस्यों को नामित करने के लिए नाम मांगे तो उसने पलट कर ‘टर्म आफ रेफरेंस’ के बारे में पूछताछ कर डाली।

मोर्चा ने समिति के बाकी सदस्यों के नाम, उनके विवरण और कमेटी के दायरे पर भी सवाल उठाए हैं। किसान मोर्चा चाहता है कि रद हो चुके कृषि कानूनों के समर्थक किसान संगठनों को समिति में शामिल नहीं किया जाए। मोर्चा के ताजा रुख से पिछले साल के आंदोलन के समय की जिद और अड़ियल रवैये का संकेत प्रक्रिया शुरू होने से पहले ही मिलने लगा है।

 

कृषि कानूनों पर उठे विवाद और किसान मोर्चा के लंबे आंदोलन के समाप्त होते समय कृषि मंत्रालय ने आंदोलनकारी किसान संगठनों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के मुद्दे पर अलग से विशेषज्ञ कमेटी का गठन करने का आश्वासन दिया। दिसंबर 2022 में आंदोलन समाप्त होने के बाद से पांच राज्यों में चुनाव की गहमागहमी और फिर संसद का अधिवेशन शुरू हो गया। संसद में एक सवाल के जबाव में कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने बताया कि सरकार जल्दी ही विशेषज्ञ समिति के गठन की प्रक्रिया शुरू करेगी। उसी के तहत 22 मार्च को कृषि सचिव ने समिति के लिए संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं से अपना सदस्य नामित करने को कहा।

कृषि सचिव को भेजे अपने ई-मेल में उन्होंने पांच प्रमुख सवाल पूछे

सरकार की इस पहल के बाद संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं की एक बैठक दिल्ली में हुई, जिसमें इस बारे में विचार किया गया। उन्होंने समिति के लिए कृषि सचिव को अपने सदस्यों के नाम भेजने के बजाय समिति के अन्य सदस्यों का ब्योरा मांगते हुए कई और तरह के संदेह जता दिए। कृषि सचिव को भेजे अपने ई-मेल में उन्होंने पांच प्रमुख सवाल पूछे हैं। समिति का टर्म आफ रेफेरेंस क्या होगा। समिति में संयुक्त किसान मोर्चा के अलावा किन और संगठनों, व्यक्तियों और पदाधिकारियों को शामिल किया जाएगा। समिति का अध्यक्ष कौन होगा और उसकी कार्य प्रणाली क्या होगी। समिति को अपनी रिपोर्ट देने के लिए कितना समय मिलेगा और आखिरी सवाल कि क्या समिति की सिफारिशें सरकार पर बाध्यकारी होंगी।’