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सस्ते क्रूड के लिए रूस के अलावा अमेरिका के भी संपर्क में भारत,


नई दिल्ली। यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद वैश्विक हालात जिस तरह से बदल रहे हैं, उससे भारत को लगता है कि अभी लंबे समय तक कच्चे तेल बाजार में अस्थिरता का माहौल रहेगा। ना सिर्फ कच्चे तेल की कीमतों के उच्च स्तर पर बने रहने की आशंका है बल्कि क्रूड की उपलब्धता भी एक चुनौती होगी। ऐसे में भारतीय कंपनियां एक तरफ जहां रूस से सस्ती दर पर ज्यादा से ज्यादा कच्चा तेल खरीदने की तैयारी में हैं, वहीं दूसरी तरफ पारंपरिक आपूर्तिकर्ता देश (ओपेक के सदस्यों) के साथ भी लगातार संपर्क में हैं। यही नहीं, भारत चालू वर्ष 2022 के दौरान अमेरिका से भी ज्यादा क्रूड खरीदेगा और इस बारे में दोनों देशों के बीच बातचीत भी जारी है। अमेरिका से ज्यादा छूट के लिए सरकारी व निजी कंपनियां एक साथ मिलकर सौदा करने की कोशिश में हैं।

पूरी दुनिया में तेल की भारी कमी

भारत की इस सोच को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी बार्तिस्लावा फोरम (स्लोवाकिया) में प्रदर्शित करते हुए कहा कि पूरी दुनिया में तेल की भारी कमी है। तेल खरीदने में मुश्किल पैदा हो रही है। विदेश मंत्री ने कहा कि यह सही नहीं है कि एक के बाद एक तेल स्रोतों को बंद कर दिया जाए और दूसरे देशों को लगातार निर्देश दिया जाए कि उन्हें किस देश से तेल खरीदना चाहिए। रूस से तेल खरीदने की नीति को जारी रखने की तरफ इशारा करते हुए जयशंकर ने कहा कि हम बाजार में रूस का तेल खरीदने नहीं जाते हैं बल्कि सबसे अच्छी (कम) कीमत पर तेल खरीदने जाते हैं। इसमें कोई राजनीतिक संदेश नहीं है।

पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप पुरी ने भी गुरुवार ने इस नीति को स्पष्ट करते हुए कहा था कि भारत सरकार के निर्देश पर कंपनियां तेल सौदा नहीं कर रही हैं बल्कि वो अपना आर्थिक फायदे को देखते हुए तेल खरीदती हैं।उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि भारत के लिए ऊर्जा सुरक्षा सबसे अहम है और अभी भले ही रूस से तेल की आपूर्ति हो रही हो लेकिन यह जरूरी नहीं है कि आगे भी यह जारी रहे। इसलिए भारत सऊदी अरब, ईराक, नाइजीरिया जैसे देशों से भी तेल आपूर्ति बढ़ाने को लेकर संपर्क में है।