सासाराम (आससे)। सासाराम नगर परिषद क्षेत्र पुरी तरफ नर्क मे तब्दील हो गया है, नगर परिषद मे हुये कई वित्तीय अनियमितता ने शहर को नर्क की ओर ढकेल दिया था। रही सही कसर नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी अभिषेक आनंद ने पुरी कर दी, वे भी शहर को नर्क बनाने मे पिछे नही रहे, एक साल से उपर हो गये शहर मे कई विकास का कार्य नही हुआ, इसके पिछे भी उनकी हठधर्मी रही।
उन्होंन कभी समन्वय बनाने के प्रयास नही किया एक सलाहकार के कहने पर कार्य करते रहे, पदाधिकारी कम नेता ज्यादा बन गये, कारण नगर परिषद मे राजनीतिक तकरार और ताना तानी बढती गयी, और इसका खामियाजा शहर की जनता को भुगतना पड़ा, विकास से जनता अवरूद्ध हो गयी, जो सहुलियत मिलती थी वो भी कम हो गयी शहर की साफ-सफाई व कूड़े का उठाव सही तरीके से नही हो पा रहा, कोरोना काल में जब लोग बिमार हो रहे है जाने जा रही है तब भी कार्यपालक काम के प्रति सचेत नही है।
कोरोना काल एक माह से उपर हो गया फिर भी ना तो शहर के सभी वार्डो मे सेनेटाईजर का छिड़काव हुआ ना ही ब्लीचिंग, ना ही मच्छर मारने की दवा का छिड़काव हुआ, जबकी नगर परिषद मे दर्जनो स्टाफ और सैकड़ो सफाई कर्मी है फिर भी कार्य कुछ नही, जनता कोरोना काल मे भी सुविधा से मरहूम है जबकी इस समय युद्ध स्तर पर काम करने की जरूरत है। इन कार्यो के नही होने का एक मात्र कारण नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी है जो कार्य कराना ही नही चाहते भले जनता परेशान रहे या गुहार लगाये कभी भी शहर की स्थित सुधारने व जनता को सहुलियत पहुचाने का कार्य नही किया।
अपनी पद का पावर और शिक्षा के घमंड मे चार कार्यपालक किसी से ना तो ठीक ढंग से बात करते है ना इज्जत देते है। नगर परिषद की बैठक मे कई पार्षद भी उनपर ऐसा आरोप लगा चुके है, ऐसा लगता है की एक तरह से वे मन बना चुके शहर को पुरा नर्क बना के ही छोड़गे और जनता को असुविधा का दंश झेलाते रहेगे, टैक्स देने के बाद भी जनता को कोई सुविधा नही मिल पा रही।
कोरोना काल मे सुविधाए उपलब्ध नही कराना एक तरह से जनता की जान से खिलवाड करने के बराबर है, ऐसा लगता है की आमजन के जान की कोई मोल नही है या कार्यपालक की नजर मे क्षेत्र में लोगो के जान की कोई कीमत नही वे जानते है कि कोरोना बढेगा या जाने जायेगी तो जवाब देही जिलाधिकारी की होगी उनका कुछ नही बिगडेगा, इसलिए मनमानी करते रहो और जनता को सुविधाए के नाम पर तरसाते रहो।
वही जिलाधिकारी धर्मेन्द्र कुमार सिह के भी इस ओर ध्यान नही देने से लगता है अब मुख्यमंत्री ही लोगो की समस्या का समाधान करा सहुलियत उपलब्ध करा सकते है। थक हार कर जनता अब मुख्यमंत्री की ओर ही आस लगाये बैठी है की उन तक शहर की दुर्दशा और कोरोना जैसी वैश्विक महामारी मे भी जनता सुविधाओ से महरूम है बात उन तक पहुचे और वे संज्ञान ले शहर की जनता को सुविधाए उपलब्ध कराये। अब मुख्यमंत्री ही एक आस बचे है, वर्तमान मे जनता भगवान भरोसे जी रही है।