कोलकाता, । स्कूल सेवा आयोग भर्ती घोटाले (West Benal SSC Scam) में गिरफ्तार पार्थ चटर्जी (Parth Chaterjee) को कैबिनेट से हटाने के बाद खुद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (CM Mamta Banerjee) ने गुरुवार को ही मंत्रिमंडल में बदलाव के संकेत दिए थे। परंतु, अचानक से सोमवार को फिर से मुख्यमंत्री ने कैबिनेट की आपात बैठक बुलाई है। इसके बाद चर्चा का बाजार गर्म है। गुरुवार को ही कैबिनेट की बैठक हुई थी और चार दिन बाद फिर से बैठक क्यों बुलाई गई है, इस पर काफी बहस हो रही है। कैबिनेट बैठक बुलाने को लेकर फेरबदल की संभावना तो है ही।
सभी मंत्री दे सकते इस्तीफा
इसके अलावा कुछ जानकारों का मानना है कि ममता अपने सभी मंत्रियों से एक साथ इस्तीफा लेकर नए सिरे से मंत्रिमंडल गठित करने का निर्णय भी ले सकती हैं। जब से पार्थ का मामला सामने आया है तब से ऐसी संभावना को अधिक हवा मिल रही है। तृणमूल के कुछ लोगों का मानना है कि मौजूदा हालात को देखते हुए सरकार और पार्टी दोनों के लिए बेहतर होगा कि पूरी तरह से कैबिनेट को बदल दिया जाए।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक, जिन विधायकों के नाम पर रिपोर्ट है उनसे अलग से ममता के भतीजे व तृणमूल के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी बात करना चाहते हैं। आगामी कुछ दिनों वे उन लोगों को बुलाकर बातचीत की प्रक्रिया शुरू कर सकते हैं। ऐसी परिस्थिति में कैबिनेट में फेरबदल की संभावनाओं के बीच चर्चा तेज है कि पूरे मंत्रिमंडल का ही इस्तीफा लेकर नया गठित किया जा सकता है। हालांकि, शनिवार तक तक इस संबंध में कुछ विशेष जानकारी नहीं मिल पाई है। सूत्रों के मुताबिक कैबिनेट के दो मंत्री सुब्रत मुखर्जी और साधन पांडेय का पहले ही निधन हो चुका है। पार्थ के पास जितने विभाग थे वे फिलहाल मुख्यमंत्री के हाथ में हैं। इसलिए मंत्रियों के बीच जिम्मेदारियों के वितरण की आवश्यकता बहुत अधिक है, ताकि कार्य सही से हो सके।
‘कामराज योजना’ की राह पर चलेंगी ममता?
क्या ममता राजनीति की बोलचाल में ‘कामराज योजना’ के रास्ते पर चलेंगी? यह अब सबसे दिलचस्प होगा। क्योंकि 1960-70 के बीच तत्कालीन कांग्रेस नेता के. कामराज की योजना थी, संगठन के लिए पार्टी के सभी बड़े नेता एक साथ इस्तीफा दें और एक नई समिति गठित की जाए। हालांकि, इस योजना में मंत्रियों और पार्टी पदाधिकारियों को अलग रखने का विचार भी शामिल था। गौरतलब है कि पदों से हटाए गए पार्थ चटर्जी मंत्री के साथ-साथ पार्टी के महासचिव थे। पार्टी का फैसला है वह पद अब नहीं रहेगा। हालांकि, पार्टी के एक वर्ग को लगता है कि मुख्यमंत्री सभी मंत्रियों से इस्तीफा लिए बिना भी बड़ी संख्या में विभागों में फेरबदल कर सकती हैं। मंत्रियों की रिक्तियों के आधार पर कुछ नए लोगों को कैबिनेट में लाया जा सकता है। ऐसे में भी अलग-अलग नामों की चर्चा हो रही है।
गरम है अटकलों का बाजार
कई दिनों से कैबिनेट में फेरबदल की अफवाह उड़ी थी। मसलन, जिला से लेकर प्रखंड स्तर तक संगठनात्मक फेरबदल की संभावना जताई जा चुकी है। विभिन्न कारणों से वे अभी तक नहीं हुए हैं। हालांकि पार्थ की घटना के बाद अब कैबिनेट में फेरबदल का मामला सामने आ गया है। यह भी सुनने में आ रहा है कि कुछ विभागों अलग-अलग मंत्रियों को दिया जा सकता है। शिक्षा में पहली तरह स्कूली शिक्षा और उच्च शिक्षा के लिए अलग-अलग मंत्री। इसके अलावा यह भी सुनने में आता है कि सूचना प्रौद्योगिकी को उद्योग और व्यापार को भी अलग-अलग दिया जा सकता है। इसी तरह से एक ही मंत्री पास वाले परिवहन, आवास, लोकनिर्माण आदि जैसे विभागों के कार्य को विभाजित करने की संभावना है। एक सूत्र ने बताया कि राजभवन को मंत्रियों के शपथ ग्रहण की जानकारी दी गई। हालांकि, यह अभी तक स्पष्ट नहीं है कि संदेश में संभावित मंत्रियों के नाम है या नहीं, लेकिन सब कुछ ममता के अंतिम निर्णय पर निर्भर करेगा। एक अधिकारी के मुताबिक जब तक मुख्यमंत्री सोमवार की कैबिनेट बैठक में अपने विचार स्पष्ट नहीं करते, तब तक कुछ भी निश्चित नहीं है।