नई दिल्ली, । भारतीय वायु सेना के एक अधिकारी की अध्यक्षता वाली ट्राई-सर्विस जांच दल केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को 8 दिसंबर को हुई एमआइ -17 हेलिकाप्टर दुर्घटना के पीछे के कारणों पर विस्तृत जानकारी देने वाला है। इसमें चीफ आफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी और 12 अन्य सैन्यकर्मियों की मौत हो गई थी। भारतीय नौसेना के एक वरिष्ठ हेलिकाप्टर पायलट दुर्घटना की जांच का हिस्सा थे और उन्होंने जांच में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सरकारी सूत्रों ने बताया कि जांच दल में सेना का एक अधिकारी भी शामिल था।
रक्षा सूत्रों ने समाचार एजेंसी एएनआइ को बताया कि भारतीय वायुसेना के शीर्ष अधिकारियों के साथ जांच दल बुधवार को रक्षा मंत्री के साथ-साथ मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ दुर्घटना और उसके कारणों की विस्तृत जानकारी देने वाला है। जांच दल ने रक्षा बलों के वरिष्ठ अधिकारियों को ले जाने वाले हेलिकाप्टरों के संचालन के दौरान मानक संचालन प्रक्रियाओं को संशोधित करने के लिए कुछ सिफारिशें भी की हैं।
दुर्घटना के विवरण को लेकर सूत्रों ने कहा कि Mi-17V5 पहाड़ियों में एक रेलवे लाइन के पास उड़ रहा था, तभी वे अचानक उभरे घने बादल में घुस गए। सूत्रों ने कहा कि हेलिकाप्टर कम ऊंचाई पर उड़ रहा था और इलाके को जानने के बाद यह जानकारी सामने आ रही है कि बावजूद इसके चालक दल ने विमान उतरने का फैसला नहीं किया। ऐसे में विमान एक चट्टान से टकरा गया।
सूत्रों के अनुसार चूंकि पूरा दल ‘मास्टर ग्रीन’ श्रेणी का था, ऐसा लगता है कि उन्हें भरोसा था कि वे स्थिति से बाहर निकलने में सक्षम होंगे, क्योंकि आपात स्थिति का सुझाव देने के लिए ग्राउंड स्टेशनों पर कोई काल नहीं किया गया। सूत्रों ने कहा कि तीन बलों के परिवहन विमान और हेलीकाप्टर बेड़े में सर्वश्रेष्ठ पायलटों को ‘मास्टर ग्रीन’ श्रेणी दी जाती है। इन पायलटों को कम दृश्यता में विमान उड़ाने और उतारने में महारत हासिल होती है। जांच समिति द्वारा की गई सिफारिशों में कहा गया है कि भविष्य में, चालक दल में मास्टर ग्रीन और अन्य श्रेणी के पायलट होने चाहिए, ताकि यदि आवश्यक हो, तो वे जमीन पर स्टेशन से मदद ले सकें। एयर मार्शल एम सिंह की अध्यक्षता वाली जांच समिति ने कई अन्य सिफारिशें भी की हैं।