सूत्रों ने कहा कि गुरुवार की सीबीआई की कार्रवाई 2012 से 2019 तक बैंक द्वारा किए गए एकमुश्त ऋण निपटान पर केंद्रित है।
वित्तीय संस्थान के हितों को सुरक्षित करने के लिए डिफॉल्ट उधारकर्ताओं के साथ बैंकों द्वारा एकमुश्त निपटान किया जाता है।
इस तरह के निपटान में अक्सर वित्तीय संस्थानों द्वारा चूक करने वाले उधारकर्ताओं को अर्जित ब्याज पर भारी छूट शामिल होती है, ताकि वित्तीय संस्थानों के हितों की अधिकतम सीमा तक रक्षा की जा सके।