सम्पादकीय

सुरक्षा तंत्रके लिए चुनौती बना ड्रोन


आनन्द शुक्ल 

जम्मूमें वायुसेना अड्डेपर आतंकियोंने ड्रोन हमलेकी जांच राष्ट्रीय जांच एजेन्सी (एनआईए) कर रही है। जांचके जो प्रारंभिक संकेत मिल रहे हैं, उसके अनुसार यह स्पष्ट हो गया है कि इस हमलेके पीछे पाकिस्तानका ही हाथ है। पाकिस्तानपर संदेह करनेके पर्याप्त आधार हैं। पाकिस्तानने आतंकी गतिविधियोंको अंजाम देनेके लिए अब हथियारबंद ड्रोनसे हमला करनेका नया तरीका ढूंढ़ लिया है। यह बात सही है कि बिना चीनकी मददके पाकिस्तान अकेले अपने बूते, इस तरहका दुस्साहसिक कार्य नहीं कर सकता। चीनको यह पता है कि उसे सिर्फ भारत ही टक्कर दे सकता है। इसलिए वह पाकिस्तानको उकसाकर भारतमें खुराफात कराता रहता है। चीनने पाकिस्तानको भारी संख्यामें ड्रोन मुहैया कराया है। इस बातकी आशंका है कि चीन द्वारा उपलब्ध कराये गये ड्रोनको पाकिस्तान जम्मू-कश्मीरमें सक्रिय अपने आतंकवादियोंतक पहुंचा कर इस हमलेको अंजाम दिया हो। यह स्पष्ट है कि सुरक्षाबलोंकी सख्तीके कारण, पाकिस्तान सीमा पारसे आतंकवादियोंकी भारतीय क्षेत्रमें घुसपैठ नहीं करा पा रहा है, इसलिए उसने नया तरीका इजाद करके ड्रोनके जरिये हमला कराना शुरू किया है। यह तथ्य है कि सबसे अधिक ड्रोनका इस्तेमाल पाकिस्तानमें होता है। अमेरिका तो तालिबानियोंके खिलाफ ड्रोनसे हमला करनेके लिए पाकिस्तानकी हवाईपट्टीका धड़ल्लेसे इस्तेमाल करता रहा है। बताते हैं कि अमेरिका ड्रोनसे हमला करके अबतक वहां हजारों लोगोंका सफाया कर चुका है।

जाहिर है कि दुश्मनके ठिकानोंपर हमलेके लिए हथियारबंद ड्रोन आतंकवादियोंके लिए अब सबसे आसान, सस्ता और सुरक्षित माध्यम बन चुका है। आतंकी तत्वों द्वारा ड्रोनके इस्तेमाल किये जानेकी कई वजहें हैं। पहली बात यह लड़ाकू विमानोंकी तुलनामें काफी सस्ते हैं। चीन द्वारा निर्मित ड्रोन करीब २५ किमीतक दस किलो वजनके हथियार या विस्फोटकोंके साथ आसानीसे उड़ सकते हैं। आकारमें छोटे होने और ३०० फीटसे कम ऊंचाईपर उडऩेके कारण ड्रोन रडारकी जदमें नहीं आते। इसके अलावा यह आवाज नहीं करते और रातके समय किसीको दिखाई भी नहीं पड़ते। इन्हीं सब खूबियोंके कारण आतंकी तत्व पैसा, विस्फोटक, मादक द्रव्य और हथियार पहुंचानेके लिए अब ड्रोनका इस्तेमाल कर रहे हैं। ड्रोनकी एक खासियत यह भी है कि दुश्मन देश द्वारा पकड़े जाने या मार गिराये जानेकी स्थितिमें इनकी शिनाख्त कर पाना मुश्किल होता है। मतलब ड्रोन किसने भेजा। कहांसे आया। किस उद्देश्यसे भेजा गया। यह सभी जानकारियां हासिल करना कठिन हो जाता है। यह स्पष्ट है कि पाकिस्तान आतंकवादी संघटनों लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मदको अपने यहां ड्रोनका बाकायदा प्रशिक्षण दे रहा है। उसके प्रशिक्षित गुर्गे ड्रोन उड़ाने, ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) लगाने और हथियार गिरानेमें माहिर हैं। पाकिस्तानने अपने इन्हीं प्रशिक्षित आतंकियोंके जरिये जम्मूमें हमला कराया। जम्मू हमलेमें क्वाड काप्टर्स ड्रोनका इस्तेमाल किया गया। गौरतलब है कि जम्मूमें ड्रोनके जरिये किये गये आतंकी हमलेकी यह पहली घटना है। अगस्त २०२० में ड्रोनसे हमलेकी चेतावनी मिली थी। हालके वर्षोंमें भारतके सीमावर्ती इलाकोंमें ड्रोनसे हथियार गिरानेकी कई घटनाएं सामने आयी हैं। पिछले दो वर्षोंमें भारतीय सीमा क्षेत्रमें करीब ३०० ड्रोन मंडराते हुए देखे गये। इसमेंसे सुरक्षाबलोंने कइयोंको गोलीबारी करके खदेड़ दिया था।

१३ अगस्त, २०१९ को पंजाब पुलिसने अमृतसरके एक गांवसे दुर्घटनाग्रस्त ड्रोन बरामद किया। २२ सितंबर, २०१९ को पंजाबके तरनतारणसे गिरफ्तार आतंकियोंने पुलिससे पूछताछमें स्वीकार किया कि ९ से १६ सितंबर २०१९ के बीच पाकिस्तानके आठ ड्रोन विमानोंके जरिये पंजाबमें हथियार उतारे गये थे। २० जून, २०२० को जम्मू-कश्मीरके कठुआमें जासूसी कर रहे एक ड्रोनको सीमा सुरक्षा बलने मार गिराया। १९ सितंबर, २०२० को जम्मू-कश्मीर पुलिसने ड्रोनके जरिये हथियार हासिल करनेवाले तीन आतंकवादियोंको गिरफ्तार किया। २२ सितंबर, २०२० को कश्मीरके अखनूर सेक्टरसे पुलिसने सीमा पारसे ड्रोनके जरिये भेजे गये हथियारोंको जब्त किया। यह सच है कि भारतके पास बड़े लड़ाकू विमानोंकी टोहके लिए रडार है, लेकिन छोटे आकारके ड्रोन जो आम तौरपर कम ऊंचाईपर उड़ते हैं, उनपर नजर रखनेके लिए अभीतक कोई प्रभावी प्रणाली विकसित नहीं हो सकी है। डीआरडीओ सहित अन्य एजेंसियोंके पास जो एंटी ड्रोन सिस्टम है, वह सभी रडार आधारित हैं। इनसे बड़े विमानोंकी टोह तो ली जा सकती है, लेकिन छोटे आकारके ड्रोन इसकी जदमें नहीं आते। इसलिए छोटे ड्रोन रडारकी नजरसे अक्सर बच निकलते हैं। जम्मूके मामलेमें ऐसा ही हुआ।

यह अच्छा हुआ कि इस मामलेको भारतने संयुक्त राष्ट्रमें उठाकर पाकिस्तानको कठघरेमें खड़ा करनेका सार्थक प्रयास किया है। भारतने वैश्विक समुदायसे सामरिक और व्यावसायिक प्रतिष्ठानोंकी सुरक्षाको लेकर अपनी चिंता प्रकट करते हुए पाकिस्तानपर उसके यहां सक्रिय आतंकवादी संघटनोंके खिलाफ ठोस काररवाई करनेका दबाव बनानेका आग्रह किया है। पाकिस्तान इतना ढीठ हो गया है कि उसके ऊपर कोई दबाव काम नहीं आ रहा। भारत लगभग सभी स्तरोंपर उसके खिलाफ अपना विरोध दर्ज करा चुका है, इसके बावजूद अब भी भारतीय इलाकोंमें उसके ड्रोन लगातार मंडराते दिख रहे हैं। गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीरमें राजनीतिक प्रक्रिया शुरू करनेके लिए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बुलायी गयी नेताओंकी बैठकसे पाकिस्तान बिलकुल बेचैन हो गया है। वह नहीं चाहता कि भारतमें अमन-चैन कायम रहे। गौरसे देखें तो इस हमलेका समय भी काफी अहम है।

इसे संयोग कहें या कुछ और मोदीने २४ जूनको जम्मू-कश्मीरके प्रमुख नेताओंके साथ बैठक की। इस बैठकके बाद एक सकारात्मक माहौल बनाता दिखा। यही नहीं, जम्मू-कश्मीर विधानसभाका चुनाव करवाने और राज्यका दर्जा बहाल करनेकी चर्चा भी शुरू हो गयी। इस दौरान बदलते माहौलसे बौखलाये पाकिस्तानने २६ जूनको हमला करा दिया। यह पाकिस्तानकी माहौल बिगाडऩे और जम्मू-कश्मीरसे भारतका ध्यान भटकानेकी कोशिश है। ताकि जम्मू-कश्मीरमें राजनीतिक प्रक्रिया शुरू न की जा सके। इसीलिए अब नया तरीका ढूंढ़ कर वह ड्रोनके जरिये हमला करा रहा है। भारतको इसका कड़ाईसे जवाब देना होगा। नि:सन्देह पाकिस्तान द्वारा आतंकी हमलेके लिए इजाद किया गया नया तरीका देशके सुरक्षा तंत्रके लिए भी बड़ी चुनौती है। इससे निबटनेके लिए भारतको प्रभावी और कारगर रणनीति तैयार करनी होगी। सबसे पहले ऐसी प्रणाली विकसित करनेकी जरूरत है, जिससे दुश्मन देशसे आनेवाले छोटे आकारके ड्रोनकी टोह ली जा सके, उसे मार गिराया जा सके और इसके लिए जिम्मेदार लोगोंतक पहुंचकर उनके खिलाफ कठोर काररवाई की जा सके। प्रभावी जवाबी रणनीति बनाकर धैर्य और सजगताके साथ चौकन्ना रहते हुए पाकिस्तानकी कारस्तानियोंसे बचा जा सकता है।