सम्पादकीय

मनोबल संवर्धन


देशमें कोरोनाका कहर निरन्तर बढ़ रहा है। बुधवारको लगातार सातवें दिन तीन लाखसे अधिक नये मामले सामने आये। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालयके अनुसार पिछले २४ घण्टोंके दौरान तीन लाख ६० हजार ९६० नये मामले दर्ज हुए और इसी अवधिमें ३२९३ लोगोंकी मृत्यु हुई। भारतमें कोरोनासे मरनेवालोंका आंकड़ा दो लाखसे ऊपर पहुंच गया है, जबकि कुल संक्रमितोंकी संख्या एक करोड़ ८० लाखके निकट पहुंच गयी है। यह स्थिति चिन्ताजनक अवश्य है लेकिन राहत और मनोबल बढ़ानेवाली बात यह है कि देशमें कोरोनाके खिलाफ जंगमें दुनियाके अनेक देश भारतके साथ खड़े हैं और आवश्यक सामग्री भी उपलब्ध करायी जा रही है। दूसरी लहरमें कोरोनाने जो कोहराम मचाया है उसका मुकाबला करनेके लिए विदेशी शक्तियोंने सहयोगका हाथ बढ़ाकर देशके मनोबलमें वृद्धि की है। अमेरिका, आस्ट्रेलिया, जापान, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी जैसी बड़ी शक्तियोंके अतिरिक्त रोमानिया और बेल्जियम जैसे छोटे देश भी मदद करनेमें पीछे नहीं हैं। परराष्टï्र मंत्रालयका कहना है कि भारतने जिस तरह दूसरे देशोंकी मदद की है, उसीका यह परिणाम है कि अनेक राष्टï्र बिना गुहार लगाये ही भारतकी सहायता कर रहे हैं। मानवताकी दृष्टिïसे यह सराहनीय कदम है। विदेशी सहायता देनेवालोंकी बढ़ती संख्याको देखते हुए भारत सरकारने एक उच्चस्तरीय अन्तर मंत्रालयी समूहका गठन किया है। इस समूहके माध्यमसे देशके प्र्रभावित क्षेत्रोंमें विदेशोंसे आयी सामग्रीकी आपूर्ति की जा रही है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह भी है कि अमेरिकाकी शीर्ष ४० कम्पनियोंके मुख्य कार्यकारी अधिकारियोंने भारतकी सहायताके लिए वैश्विक कार्यबलका गठन किया है। यह कार्यबल भारतको अहम चिकित्सा सामान, टीके, आक्सीजन और अन्य जीवनरक्षक सहायता मुहैया करायगा। भारतकी सहायताके लिए वैश्विक कार्यबलका गठन नि:सन्देह एक बड़ा कदम है। वैसे अमेरिकी राष्टï्रपति जो बाइडेनका यह कथन भी विशेष रूपसे महत्वपूर्ण है, जिसमें उन्होंने भरोसा दिया है कि जरूरतके समयमें भारत हमारे साथ था, अब हम भारतके साथ हैं। बाइडेनने प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदीको फोनपर यह भरोसा देकर देशवासियोंका मनोबल बढ़ाया है। साथ ही अमेरिकाने यह भी स्पष्टï कर दिया है कि वह इस मददके बदले भारतसे कोई समर्थन नहीं चाहता है। यह भारतके प्रति बढ़ते विश्वासका एक दृष्टïान्त है।

सीमापर सेना सतर्क

चीनके साथ लम्बे समयसे जारी गतिरोधके बीच भारतीय सेना प्रमुख जनरल एम.एम. नरवणेका मंगलवारको अचानक पूर्वी लद्दाख और सियाचीनका दौरा सुरक्षा और सतर्कताकी दृष्टिïसे काफी अहम माना जा रहा है। जनरल नरवणे और उनके साथ गये उत्तरी कमानके कमाण्डर जनरल वाई.के. जोशीको लद्दाखके कोर कमाण्डर लेफ्टिनेण्ट जनरल पीजीके मेननने ताजा हालात और सुरक्षाकी तैयारियों और चीनकी गतिविधियोंकी जानकारी दी। नरवणेने बुधवारको एलएसीके पास गम्भीर तनातनीवाले क्षेत्र डेपसांगके मद्देनजर अहम सैन्य ठिकाने दौलत बेग ओल्डी (डीओबी) का भी दौरा किया। इस दौरान एलएसीके पास तनातनीवाले इलाकेसे फरवरीमें हुए दोनों देशोंके पीछे हटनेके करारपर चीनी सेनाकी आनाकानीके बीच सेना प्रमुखका सेनाकी तैनाती और कम समयमें काररवाईकी क्षमताका जायजा लेना भारतीय सेनाकी दृढ़ता और उनके ऊंचे मनोबलको बढ़ानेवाला है। मौजूदा तनातनीके दौरान भारत और चीनके बीच सैन्य स्तरकी ११ दौरकी वार्ता हो चुकी है जिसमें दोनों देशोंने अपनी-अपनी सेनाएं पीछे हटानेपर सहमति जतायी थी। इस सहमतिके तहत पैंगोंग झीलके इलाकेसे सेनाएं हटीं लेकिन गोगरा, हाटस्प्रिंग और डेमचकसे हटनेसे चीन इनकार कर रहा है। दूसरी ओर डेपसांगमें दोनों देशकी सेनाएं आमने-सामने डटी हुई हैं। भारतीय सेनाके शौर्य और सैन्य शक्तिके आगे घुटने टेक चुका चीन भारतके साथ प्रत्यक्ष युद्धका साहस नहीं जुटा पा रहा है। दूसरी ओर विश्वकी बड़ी शक्तियां भारतके साथ खड़ी हैं जिससे राष्टï्रपति शी जिनपिंगकी कसबल ढीली पड़ चुकी है। यही कारण है कि वह भारतपर दबाव बनानेके लिए हठधर्मिताका सहारा ले रहा है जो दिवास्वप्नसे ज्यादा महत्व नहीं रखता। चीन एक धूर्त राष्टï्र है। इसपर भरोसा नहीं किया जा सकता है। भारतको सतर्क रहनेके साथ-साथ उसके नकारात्मक गतिविधियोंके जवाबी काररवाईके लिए हर वक्त तैयार रहना होगा।