सम्पादकीय

नाजुक अंगोंपर हमला करता है ह्वाइट फंगस


योगेश कुमार गोयल

जहां रूप बदल-बदलकर कोरोना वायरस पिछले डेढ़ वर्षोंसे पूरी दुनियामें लोगोंपर कहर बरपा रहा है और लाखों लोगोंको अपना निवाला बना चुका है, वहीं भारतमें अब इस बीमारीसे ठीक होनेवाले कुछ लोगोंपर विभिन्न प्रकारके खतरे मंडरा रहे हैं। देशभरमें ब्लैक फंगसके हजारों मामले सामने आनेके बाद अब कोरोनासे उबरे मरीजोंमें ह्वïाइट फंगस, यैलो फंगस और एस्पेरगिलिस फंगसके मामले भी मिलने लगे हैं। हालांकि अबतक यैलो और एस्पेरगिलिस फंगसके गिने-चुने मामले ही मिले हैं लेकिन ह्वïाइट फंगससे संक्रमितोंकी संख्या लगातार बढ़ रही है। ह्वïाइट फंगससे अब एक महिला मरीजकी छोटी और बड़ी बांतमें छेद होनेका दुर्लभ मामला भी सामने आया है। हालांकि दिल्लीमें गंगाराम अस्पतालमें डाक्टरोंने ४९ वर्षीया इस महिलाकी सर्जरी कर उसकी जान बचा ली लेकिन उनका कहना है कि ह्वïाइट फंगसका आंतमें अटैक करनेका यह पूरी दुनियामें पहला मामला है। महिला पेटमें बहुत तेज दर्द और उल्टीकी शिकायत लेकर गंगाराम अस्पताल पहुंची थी, जिसकी कुछ समय पहले ही ब्रेस्ट कैंसरकी सर्जरी भी हुई थी और चार सप्ताह पहले ही उसे कीमोथैरेपी भी दी गयी थी। सीटी स्कैन करनेपर उसके पेटमें हवा, लिक्विड होने और आंतमें छेदका पता चला और आंतसे लिये टुकड़ोंकी बायोप्सीसे स्पष्ट हुआ कि उसकी आंतोंमें ह्वïाइट फंगस है, जिसने आंतोंके अन्दर खतरनाक फोड़ेनुमा घाव कर दिये थे, जिससे फूड पाइपसे लेकर छोटी आंत और बड़ी आंतमें छेद हो गये थे।

ह्वïाइट फंगस नामक बीमारीको एस्परगिलोसिस् (कैंडीडायसिस) कहा जाता है, जिसे चिकित्सकीय भाषामें कैंडिडा भी कहते हैं, जो रक्तके जरिये होते हुए शरीरके हर अंगको प्रभावित कर सकता है। यह त्वचा, पेट, किडनी, ब्रेन, मुंह, फेफड़े, नाखून, जननांग इत्यादिको संक्रमित कर सकता है। अधिकांश विशेषज्ञोंका यही मानना है कि यदि ह्वïाइट फंगसको सही समयपर पहचान कर इलाज शुरू करा लिया जाय तो इसका शत-प्रतिशत उपचार संभव है। ब्लैक फंगस जहां साइनस, आंखों और फेफड़ोंको मुख्य रूपसे निशाना बनाता है, वहीं ह्वïाइट फंगसमें सिरदर्द, चेहरेके एक तरफ दर्द, सूजन, आंखोंके विजनका कमजोर पडऩा, मुंहमें छाले जैसे लक्षण दिख सकते हैं। इसका सबसे ज्यादा असर नाक, होंठ और मुंहके अंदर देखनेको मिलता है। डाक्टरोंके मुताबिक ह्वïाइट फंगसका शीघ्र इलाज कराया जाना जरूरी है, जो एक-डेढ़ महीनेतक चल सकता है। वैसे ह्वïाइट फंगस संक्रमण सामान्य एंटी-फंगल दवाओंसे ठीक किया जा सकता है और इसके उपचारके लिए सामान्यत: ब्लैक फंगसकी भांति महंगे इंजेक्शनोंकी जरूरत नहीं पड़ती।

पिछले कुछ दिनोंके भीतर ह्वïाइट फंगसके जितने भी मामले मिले हैं, सभी पोस्ट कोरोनाके बाद संक्रमित हुए हैं और लगभग सभी डायबिटिक हैं। फंगसके यह मामले उन मरीजोंमें भी देखे जा रहे हैं, जिनकी इम्यूनिटी काफी कमजोर है। ह्वïाइट फंगस संक्रमणसे बचनेके लिए भी डाक्टरोंकी सलाह यही है कि बिना डाक्टरी सलाहके मरीज स्टेरॉयड न लें। दरअसल ह्वïाइट फंगस उन्हीं लोगोंको अपना शिकार बनाता है, जिनका इम्यून सिस्टम कमजोर हो और जो पहलेसे मधुमेह, कैंसर जैसी स्वास्थ्य समस्याएं झेल रहे हों। यह लम्बे समयतक स्टेरॉयड ले रहे कोरोना संक्रमित मरीजोंपर और विशेषकर मधुमेह मरीजोंपर आसानीसे हमला करता है। इसके अलावा कोरोना संक्रमित गंभीर मरीज, जिन्हें आक्सीजन दी जा रही हो और उनकी नाक या मुंहपर लगे उपकरण फंगलयुक्त हों, उन्हें भी संक्रमण हो सकता है, यह उनके फेफड़ोंको संक्रमित कर सकता है। इसलिए इम्युनिटी कम होनेकी स्थितिमें मरीज द्वारा किसी भी प्रकारके फंगल इंफैक्शनको लेकर अत्यधिक सतर्कताकी जरूरत है क्योंकि इसकी अनदेखी जानलेवा हो सकती है।

रक्तके जरिये त्वचामें ह्वïाइट फंगस इंफैक्शन फैलनेपर छोटे-छोटे फोड़े हो सकते हैं, जो प्राय: दर्दरहित होते हैं, यह संक्रमणका शुरुआती लक्षण है। यदि संक्रमणका असर शरीरके जोड़ोंपर हो तो इससे जोड़ोंमें दर्द होने लगता है। दिमागतक पहुंचनेपर सोचने-विचारनेकी क्षमतापर प्रभाव पड़ता दिखता है, जिससे तेज सिरदर्दके साथ उल्टियां हो सकती हैं और मरीजको बोलनेमें भी परेशानी हो सकती है। यदि मरीजके शरीरपर चकत्ते, आंखोंमें जलन, जीभमें फोड़ा, गला जाम, थूक निगलनेमें परेशानी जैसी शिकायतें हैं तो यह ह्वïाइट फंगसके लक्षण हो सकते हैं, इन्हें नजरअंदाज न करें। ह्वïाइट फंगस आंख, गला, आंत, लीवर, जीभ जैसे मरीजके नाजुक अंगोंपर हमला करता है और अंगके सेल्सको तेजीसे नष्ट कर देता है, जिससे अंग कार्य करना बंद कर देता है।

ह्वïाइट फंगल इंफैक्शन कोरोनाकी भांति व्यक्तिके फेफड़ोंपर अटैक करता है, जिसमें प्राय: सांस फूूलना, सीनेमें दर्द जैसे कोरोना जैसे ही लक्षण नजर आते हैं, इसलिए भी सतर्क रहना बेहद जरूरी है। जिन मरीजोंमें कोरोनासे ठीक होनेके बावजूद लगातार खांसी हो रही है, वह डाक्टरी सलाहसे स्पटम कल्चर करा सकते हैं। फेफड़ोंपर असर होनेपर कोरोना जैसे लक्षण दिखनेपर कई बार लोग बिना जांचके स्वयंको कोरोना संक्रमित मानकर घरपर ही बिना डाक्टरी सलाहके दवाएं लेने लगते हैं, जिससे हालात बिगड़ जाते हैं। ऐसेमें फंगस संक्रमण शरीरके मुख्य अंगोंको चपेटमें ले सकता है, जिससे ऑर्गन फेल होनेसे मरीजकी मौत हो सकती है।

अधिकांश डाक्टरोंका कहना है कि ह्वïाइट फंगस कोई बड़ी बीमारी नहीं है, बल्कि यह कैंडीडायसिस नामक इंफैक्शन है, जो काफी आम है, जिसका इलाज आसानीसे किया जा सकता है और अधिकांश मामलोंमें यह संक्रमण जानलेवा साबित नहीं होता। इसका इलाज एंटी-फंगल दवाओंसे शुरू होता है लेकिन यह दवाएं अक्सर तभी ज्यादा असरदार होती हैं, जब बीमारी शुरुआती अवस्थामें ही पकड़में आ जाय। इसलिए शरीरमें कुछ भी असामान्य महसूस होनेपर अविलंब डाक्टरसे परामर्श करें। देरसे इलाज शुरू करनेपर मरीजकी स्थिति गंभीर हो सकती है। शुरुआती अवस्थामें इलाज शुरू हो जानेपर एंटी-फंगल दवाओंसे मरीज पूरी तरह ठीक हो सकता हैए इसलिए इससे घबरानेके बजाय सचेत रहनेकी आवश्यकता है।