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सूर्य तिलक, 56 प्रकार के भोग और 150 LED के माध्यम से दर्शन राम मंदिर में रही खास तैयारी


नई दिल्ली। : अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद पहली रामनवमी है। इस रामनवमी को खास बनाने के लिए उत्तर प्रदेश के अयोध्या में इसके लिए बड़ा आयोजन किया गया है। इस आयोजन में सबसे खास है भगवान श्री रामलला का ‘सूर्य तिलक’। इस अद्भुत पल के लिए वैज्ञानिकों ने भी इसकी तैयारियां पूरी कर ली हैं।

 

रामनवमी समारोह के अवसर पर बुधवार, 17 अप्रैल की सुबह यानि आज हजारों भक्तों की भीड़ अयोध्या के राम मंदिर में उमड़ी। विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के प्रवक्ता शरद शर्मा ने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर में रामनवमी के उत्सव का 500 वर्षों से बेसब्री से इंतजार किया जा रहा है और पूरा देश इसको लेकर बहुत खुश है।

रामलला को 56 प्रकार का लगेगा भोग

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य अनिल मिश्रा ने कहा कि सूर्य तिलक के दौरान भक्तों को राम मंदिर के अंदर जाने की अनुमति दी जाएगी। मंदिर ट्रस्ट द्वारा लगभग 100 और सरकार द्वारा 50 एलईडी लगाई जा रही हैं, जो रामनवमी समारोह को दिखाएंगी। लोग मंदिरों के बाहर से भी समारोह देख सकेंगे। इस अवसर पर रामलला को 56 प्रकार का भोग प्रसाद भी लगाया जाएगा।

श्रद्धालुओं को लाने के लिए लगाई गईं 300 बसें

रामनवमी पर रामलला का दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए परिवहन निगम ने पूरी ताकत झोंक दी है। अयोध्या परिक्षेत्र के चार डिपो अयोध्या, सुलतानपुर, अमेठी और अकबरपुर डिपो की 200 बसों का संचालन फोरलेन पुल के नीचे बालू घाट पर बने अस्थाई बस स्टेशन से किया जा रहा है। इसके अलावा लखनऊ, आजमगढ़, देवीपाटन और गोरखपुर क्षेत्र की 50-50 मेला स्पेशल बसों का संचालन विशेष रूप से अयोध्या के लिए किया जा रहा है। ये बसें सीधे अस्थाई बस स्टेशन तक चलेंगी।

बढ़ाई गई दर्शन की अवधि

ट्रस्ट ने दर्शन की अवधि भी 19 घंटे तक बढ़ा दी है, जो मंगला आरती से शुरू होकर रात 11 बजे तक जारी रहेगी। चार भोग लगाने के दौरान सिर्फ पांच मिनट के लिए पर्दा बंद रहेगा।

सुरक्षा व्यवस्था का किया गया पुख्ता इंतजाम

सुरक्षा व्यवस्था को लेकर आईजी (अयोध्या रेंज) प्रवीण कुमार ने कहा कि श्रद्धालुओं के लिए व्यवस्था की गई है। आईजी ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया, “सभी इलाकों को जोन और सेक्टर में बांट दिया गया है। हमारे स्वयंसेवकों और फोर्स मल्टीप्लायरों को तैनात किया गया है। भारी वाहनों की आवाजाही के लिए भी व्यवस्था की गई है।”

धनिया की पंजीरी है महत्वपूर्ण

राम जन्मोत्सव के साथ धनिया की महत्ता भी विवेचित है। सामान्य तौर पर आटे की पंजीरी की परंपरा है, किंतु राम जन्मोत्सव के अवसर पर सूखी धनिया को पीस कर उसकी पंजीरी का प्रसाद वितरित किया जाता है। जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी रत्नेश प्रपन्नाचार्य के अनुसार इसमें राम जन्मोत्सव की मिठास घुली है। प्रसव के उपरांत शिशु और मां के लिए औषधीय गुणों से युक्त धनिया की पंजीरी सोंठौरा की तरह लाभकारी मानी जाती है।