पटना

सेनारी नरसंहार मामले में सुप्रीम कोर्ट जाएगी बिहार सरकार, पटना हाईकोर्ट के फैसले को देगी चुनौती


पटना। जहानाबाद सेनारी नरसंहार कांड को लेकर पटना हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट जाएगी। विधि विभाग ने पूरे मामले में राज्य महाधिवक्ता से राय मांगी है। राय मिलने के बाद 2 से 4 दिनों के अंदर राज्य सरकार इस पर फैसला लेगी। पटना हाईकोर्ट ने सेनारी नरंसहार के सभी दोषियों को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया है। जहानाबाद निचली अदालत के फैसले को हाईकोर्ट ने रदद्द करते हुए सभी दोषियों को तुरंत प्रभाव से रिहा करने का आदेश जारी किया है।

पटना हाईकोर्ट ने शुक्रवार को निचली अदालत से दोषी ठहराए गए 15 आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया है। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि सरकारी पक्ष इस कांड के आरोपियों पर लगे आरोप को साबित करने में असफल है। नरसंहार कांड के इन आरोपियों के खिलाफ पुख्ता और ठोस साक्ष्य पेश करने में सरकार पूरी तरह असफल रही है। निचली अदालत द्वारा 15 नवंबर 2016 को नरसंहार कांड के 11 आरोपियों को फांसी की सजा और अन्य को आजीवन कारावास की सजा दी गई थी। सजा पाए आरोपियों ने निचली अदालत के फैसले को पटना हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए अपील दायर की थी।

पूरे घटनाक्रम की बात करे तो तत्कालीन जहानाबाद और वर्तमान अरवल जिले के करपी थाने के सेनारी गांव में 18 मार्च 1999 की शाम करीब 7।30 बजे से 11 बजे रात तक प्रतिबंधित संगठन के एमसीसी उग्रवादियों पर गांव के 34 लोगों की तेजधार हथियार से गला व पेट फाड़कर और गोली मार कर निर्मम हत्या कर नरसंहार करने का आरोप है। इस नरसंहार कांड में मारे गए अवध किशोर शर्मा की पत्नी चितांमणी देवी के बयान पर पुलिस ने 19 मार्च 1999 को करपी थाने में कांड दर्ज किया था।

जबकि नरसंहार की सूचना घटना के दिन ही 11:40 बजे रात में पुलिस को मिल गयी थी। दर्ज बयान के अनुसार पुलिस वर्दी में प्रतिबंधित संगठन के एमसीसी के उग्रवादियों ने सेनारी को घेर लिया व गांव के लोगों को घर से पकड़ कर ठाकुरबाड़ी के पास ले गए। उग्रवादियों ने एक-एक कर 34 लोगों को मार डाला।

जहानाबाद सिविल कोर्ट के अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश तीन रंजीत कुमार सिंह ने इस नरसंहार के 15 आरोपियों को 15 नवंबर 2016 को सजा सुनाई थी। जिसमें 11 को मौत व अन्य को सश्रम आजीवन कारावास की सजा दी थी। सेशन कोर्ट ने साक्ष्य के अभाव में 23 अन्य को बरी कर दिया था। पुलिस ने कई बार में 74 के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दायर की थी। कुछ की सुनवाई के दौरान मौत हो गई थी।