पटना

सेव द गार्डन्स ऑफ़ चम्पारण: ‘चम्पारण के प्रहरी पुराने वृक्ष’ अभियान की शुरूआत


मोतिहारी (आससे)। जिले में जल जीवन हरियाली अभियान के तहत जिलाधिकारी श्रीशत कपिल अशोक द्वारा सघन वृक्षारोपण कार्यक्रम चलाया जा रहा है। साथ ही गाँव के कई पुराने वृक्ष जिनका वहाँ के इको सिस्टम की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका है, उसके संरक्षण एवं संवर्द्धन किया जाएगा। गाँव में विद्यमान कई पुराने वृक्ष जैसे पीपल, पाकड़, आम, बरगद, नीम, ईमली आदि जो कई पीढ़ियों के साक्षी है, वैसे वृक्ष के संवर्द्धन एवं संरक्षण के लिए ग्रामसभा करके कार्य योजना बनायी जाएगी।

ये वृक्ष न सिर्फ पारिस्थितिक तंत्र (इकोलाजिकली सिस्टम)  के संतुलन में सहायक है, बल्कि बाढ़, सुखाड़, वज्रपात, भूमि क्षरण जैसी प्राकृतिक विपत्तियों से भी बचाव करते है। आम जन-जीवन मानव, पशु एवं पक्षियों से इन प्राचीन वृक्षों का गहरा नाता है। हाल के वर्षों में ऐसे कई वृक्षों के गिरने एवं सूखने की घटनाएँ हुई हैं, जिससे संबंधित गाँव के पारिस्थितिक तंत्र का गहरा नुकसान हुआ है।

इस उद्देश्य से जिलान्तर्गत एक महत्वकांक्षी अभियान– सेव द गार्डन्स ऑफ़ चंपारण “चम्पारण के प्रहरी पुराने वृक्ष” की शुरूआत की जा रही है, जिसमें पुराने वृक्षों के प्रति सामुदायिक दायित्व (कमुनिटी रिस्पोसीबिलीटी)  एवं अपनापन (एफिनीटी)  सुनिश्चित किया जाएगा। इसके लिए निम्न प्रक्रियाएँ (एक्शनस) एवं चरणों (स्टेप्स ) में समयबद्ध कार्य किया जाएगा। सभी प्रखण्डों के कार्यक्रम पदाधिकारी, मनरेगा एवं प्रखण्ड विकास पदाधिकारी अपने अधीनस्थ तंत्र यथा पंचायत रोजगार सेवक, ग्रामीण आवास सहायक विकास मित्र इत्यादि के माध्यम से प्रति पंचायत पाँच ऐसे प्राचीन वृक्ष, जिनका आम जन जीवन से अन्योन्याश्रय संबंध रहा है, का सर्वे कराते हुए उसके संरक्षण एवं संवर्द्धन हेतु आवश्यक प्रयास किया जाएगा। जिसमें वृक्ष की उम्र, वृक्ष के तने का व्यास, वृक्ष से जुड़ी हुई कहानी ( Story) जिससे वृक्षों के महत्व का पता चलता हो तथा  संबंधित वृक्ष के संरक्षण एवं संवर्द्धन की एक योजना बनाएँगे जिसे जनसभा के माध्यम से पारित किया जाएगा।

उक्त योजना- “चम्पारण के प्रहरी पुराने वृक्ष” के नाम से जानी जाएगी। इसमें मुख्यतः निम्न कार्य किये जाएँगे- जिसमें वृक्ष के तने में मिट्टी भराई, वृक्ष के तने के पास पानी की आपूर्ति हेतु पानी की व्यवस्था यथा-वाटर टैप एवं चापाकल, वृक्ष के तने के आस-पास पेस्ट कण्ट्रोल का छिड़काव (किसान सलाहकार की सहभागिता से), उक्त वृक्ष के पास एक यूनीआई स्टैण्डर्ड सीईन बोर्ड  लगाया जाएगा, जिसमें योजना का नाम वृक्ष का स्थानीय, वैज्ञानिक, संस्कृत नाम, उम्र, उपयोग, पेड़ के संदर्भ में स्थानीय महत्व कहानी (शोर्ट स्टोरी) एवं संरक्षक मंडल के सदस्यों का नाम अंकित रहेगा।

उक्त योजना में चयनित प्रत्येक वृक्ष के संरक्षण एवं संवर्द्धन हेतु एक संरक्षण मंडल बनाया जाएगा, जिसके द्वारा उस वृक्ष के प्रति सामुदायिक दायित्व को सुनिश्चित किया जाएगा। इस संरक्षण मंडल में पाँच व्यक्ति होंगे, जिसमें वर्तमान मुखिया, पूर्व मुखिया संबंधित वार्ड के वार्ड सदस्य, गाँव के वयोवृद्ध व्यक्ति यथा स्वतंत्रता सेनानी, सेवानिवृत शिक्षक सेवानिवृत सैनिक / सरकारी कर्मी को शामिल किया जा सकता है।यह संरक्षक मंडल निम्न कार्य करेंगे- (क) संबंधित वृक्ष के संरक्षण एवं संवर्द्धन से संबंधित योजना की स्वीकृति। (ख) संबंधित वृक्ष को बचाने हेतु शपथ लिया जाएगा। (ग) संबंधित वृक्ष का समय-समय पर रख-रखाव। (घ) संबंधित वृक्ष पर आने वाली विपत्तियों से सुरक्षा एवं इसके संबंध में सूचना का प्रेषण।

इस अभियान के लिए एक मोबाईल ऐप का निर्माण होगा। जिसमें वृक्ष से संबंधित हाई डिफिनेशन जिओ टैगड फोटोग्राफी, स्पेसिक डिस्क्रिप्शन एज ,ओथ  एवं स्टोरी  को अपलोड करने की व्यवस्था हो। कार्यक्रम पदाधिकारी, मनरेगा वृक्ष से संबंधित दो क्वालिटी फोटोग्राफी  अपलोड करेंगे। जिला स्तर पर निदेशक, लेखा प्रशासन एवं स्वनियोजन, जिला ग्रामीण विकास अभिकरण, पूर्वी चम्पारण, मोतिहारी एवं जिला कार्यक्रम पदाधिकारी, मनरेगा, जिला ग्रामीण विकास अभिकरण, पूर्वी चम्पारण, मोतिहारी इस अभियान का अनुश्रवण करेंगे एवं उप विकास आयुक्त, पूर्वी चम्पारण, मोतिहारी के माध्यम से अधोहस्ताक्षरी को अवगत करायेंगे।

इस अभियान में वन प्रमण्डल पदाधिकारी, पूर्वी चम्पारण,मोतिहारी की भी सहभागिता रहेगी एवं वे अपने स्तर से आवश्यक सूचनाएँ एवं सहयोग उपलब्ध करायेंगे। उक्त सभी पदाधिकारी एक स्टोरी बुकलेट का भी निर्माण करेंगे, जिसमें कम से कम 50 ऐसे संरक्षित एवं संबंधित वृक्षों का विवरण हो। सभी संबंधित उक्त आदेश का अनुपालन दस दिनों के अन्दर करने का निर्देश दिया गया है।