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स्‍कार्पियन क्‍लास की सबमरीन INS Vela की ये खासियत बनाती हैं इसे दूसरों से अलग


नई दिल्‍ली । आईएनएस वेला से भारतीय नौसेना की ताकत में जबरदस्‍त इजाफा होगा। गुरुवार को इस सबमरीन को भारतीय नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह के हाथों सेना को सौंप दिया जाएगा। भारतीय नौसेना को कुछ ही दिनों में मिलने वाली ये दूसरी बड़ी ताकत है। इससे पहले रविवार को मिसाइल डिस्‍ट्रोयर आईएनएस विशाखापट्टनम को भारतीय नौसेना को सौंपा गया था।

प्रोजेक्‍ट 75

गौरतलब है कि जिस वक्‍त आईके गुजराल प्रधानमंत्री थे उस वक्‍त 25 पनडुब्बियों के अधिग्रहण की बात की गई थी। उस वक्‍त तीन दशकों में भारतीय नौसेना की ताकत बढ़ाने के लिए प्रोजेक्‍टर 75 शुरू किया गया था। वर्ष 2005 में भारत के मझगांव डाक लिमिटेड और फ्रांस के डीसीएनएस के बीच छह स्‍कार्पियन क्‍लास की सबमरीन के निर्माण को लेकर समझौता किया गया था। इस समझौते के तहत बनने वाली आईएनएस कलवरी को वर्ष 2017 में पहली बार समुद्र में उतारा गया था। आईएनएस वेला इस सूची की चौथी सबमरीन है। इसके अलावा वजीर का भी ट्रायल चल रहा है। इसके बाद छठी सबमरीन वगशीर का निर्माण अभी चल रहा है।

पहले भी थी वेला सबमरीन

आपको यहां पर ये भी बता दें कि वेला नाम से पहले भी एक सबमरीन भारतीय नौसेना का हिस्‍सा रह चुकी है। ये सबमरीन 1973 में नौसेना में शामिल की गई थी और इसने वर्ष 2010 तक सेवा दी थी। हालांकि ये फोक्‍सट्राट क्‍लास की सबमरीन थी, जो रूस में निर्मित थी।