- कोरोना संकट के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 12 विपक्षी दलों ने एक पत्र लिखा है. इसमें कोरोना की वजह से आम लोगों को जो परेशानियां हो रही हैं उनका जिक्र करते हुए कुछ मांगें रखी गई हैं. इसमें बेरोजगारों को भत्ता, जरूरतमंदों को मुफ्त अनाज देने की मांग उठाई गई है. इसके अलावा कोरोना टीके और सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट का भी इस पत्र में जिक्र है. 12 प्रमुख विपक्षी दलों के नेताओं में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा की पार्टी भी शामिल है.
12 विपक्षी पार्टियों की तरफ से पीएम मोदी को जो पत्र लिखा गया है कि उसमें सभी बेरोजगार लोगों को छह हजार रुपये प्रति महीने देने की मांग की गई है. आगे लिखा है कि जरूरतमंदों को नि:शुल्क अनाज उपलब्ध कराया जाए. इसके अलावा विपक्षी दलों के नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर नि:शुल्क व्यापक कोविड रोधी टीकाकरण करने, सेंट्रल विस्टा परियोजना को रोकने की मांग की है.
पत्र लिखने वालों में सोनिया गांधी, एचडी देवगौड़ा भी शामिल
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा समेत 12 प्रमुख विपक्षी दलों के नेताओं ने कोरोना महामारी की गंभीर स्थिति को लेकर चिंता जताई है. पत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आग्रह किया कि केंद्र सरकार वैश्विक एवं घरेलू स्तर के सभी स्रोतों से टीकों की खरीद करे तथा देश के सभी नागरिकों को मुफ्त में टीका लगाया जाए.
पत्र में लिखा- सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट रोककर टीकाकरण में लगाएं पैसा
प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में इन नेताओं ने सभी देशवासियों को मुफ्त में टीका लगाने की व्यवस्था करने, सेंट्रल विस्टा परियोजना को रोककर इसका पैसा टीकाकरण के लिए इस्तेमाल करने, तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने, ‘पीएम केयर्स’ कोष की पूरी राशि का इस्तेमाल जरूरी चिकित्सा उपकरणों की खरीद के लिए करने और सभी बेरोजगार लोगों को प्रति माह 6,000 रुपये प्रदान की मांग भी की है.
पीएम को पत्र लिखने वालों में कौन-कौन से दल शामिल
कांग्रेस की तरफ से सोनिया और जनता दल (एस) की तरफ से देवगौड़ा के अलावा राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार, शिवसेना प्रमुख एवं महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, द्रमुक नेता और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन तथा झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता एवं झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने यह पत्र लिखा है.